updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- खनिजों का अवैध उत्खनन एवं परिवहनकर्ताओं के विरूद्ध बीती रात खनिज, पुलिस एवं राजस्व विभाग के संयुक्त दल द्वारा छापामार कार्यवाही करते हुए 06 पोकलेन मशीने तथा 17 डम्पर जब्त किए गए । कलेक्टर श्री प्रवीण सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खनिजों के अवैध उत्खनन एवं परिवहन करने वालों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। खनिजों के अवैध उत्खनन एवं परिवहन को रोकने के लिए संयुक्त दल की छापामार कार्यवाही निरंतर जारी रहेगी।

कलेक्टर श्री सिंह ने बताया कि जिले से किसी भी प्रकार के खनिजों के अवैध परिवहन को रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा पुलिस, राजस्व एवं खनिज विभाग की संयुक्त टीम द्वारा कार्यवाही की जा रही है। संयुक्त टीम प्रतिदिन अवैध रेत के भंडारण, अनुमति और उत्खनन, परिवहन के साथ-साथ रॉयल्टी पर्ची आदि सभी दस्तावेजों की जांच करेगी। इसके साथ ही डम्परों में निर्धारित माप से अधिक रेत परिवहन को रोकने के लिए भी कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने बताया कि खनिजों अवैध उत्खनन एवं

परिवहन करने वालों की मशीनें एवं डम्पर, टै्रक्टर ट्राली न केवल जब्त की जाएंगी बल्कि कड़ी कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। छापामार कार्रवाई में 06 पोकलेन मशीन तथा 17 डम्पर जप्त- कलेक्टर श्री सिंह ने बताया कि संयुक्त टीम द्वारा बीती रात ग्राम डिमावर तहसील भैरूंदा से 04 पोकलेन मशीन, ग्राम सोमलवाडा तहसील बुधनी से 02 पोकलेन मशीन रेत खनन करते हुए जब्त कर थाना भैरूंदा एवं शाहगंज की अभिरक्षा में खड़े किए गये हैं। रेत के ओव्हरलोड परिवहन करते पाये जाने पर 17 डम्पर जप्त कर थाना गोपालपुर एवं इछावर की अभिरक्षा में खडे किये गये हैं।

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- नमामि गंगे परियोजना के तहत प्रदेश की समस्त पंचायतों में नदी, तालाबों, कुआँ, बावड़ी तथा अन्य जल स्त्रोतों के संरक्षण एवं पुर्नजीवन के लिए 05 जून से 15 जून तक विशेष अभियान संचालित किया जायेगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर नदी, तालाबों, कुओं, बावड़ियों एवं अन्य जल स्रोतों के संरक्षण एवं इनके पुनर्जीवन के लिये दिये गये निर्देश के तहत पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा विस्तृत निर्देश जारी किये गये हे। कलेक्टर श्री प्रवीण सिंह ने राज्य शासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों के तहत जिले के सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये है, कि जिले की प्रत्येक

ग्राम पंचयातों में ऐसे अनुपयोगी जल स्त्रोतें को देखें और उनका पूर्नरोद्वर, जीर्णोद्वार एवं नवीनकरण किया जाये। उन्होंने कहा कि पूर्व निर्मित अनेकानेक ऐसी जल संग्रहण संरचनाएं जैसे नदी, तालाब, कुआँ, बावड़ी आदि जो कि वर्तमान में विभिन्न कारणों से अनुपयोगी हो गई हैं। जल स्त्रोतों का अविरल बनाये जाने के लिए इन संरचनाओं का पुर्नरोद्धार, जीर्णोद्धार एवं नवीनीकरण किया जाकर इन्हें उपयोगी, यथासंभव आर्थिक रूप से भी उपयोगी बनाया जाना आवश्यक है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर 05 जून से 15 जून तक की अवधि में प्रदेश में प्रवाहित होने वाली नदियों, तालाब एवं जल संरचनाओं के पुर्नजीवीकरण, संरक्षण का विशेष अभियान चलाया जाना है।

इस अभियान के लिए ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग नोडल विभाग के रूप में कार्य प्राथमिकता से देखेंगें। कलेक्टर श्री सिंह कहा कि पूर्व में तालाबों के जीर्णोद्धार का कार्य किया जा चुका है तथा साथ ही जल संरक्षण तथा संवर्धन के कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं, अभियान अंतर्गत कार्यों की उपयोगिता सुनिश्चित की जाए। अभियान के दौरान मनरेगा योजना अंतर्गत जल संरक्षण/संवर्धन के प्रगतिरत कार्य जैसे कपिलधारा कूप, खेत तालाब, सामुदायिक तालाब इत्यादि को अभियान अवधि में अधिक से अधिक कार्य पूर्ण कराने के लिए आवश्यक प्रयास किया जाये।

इस विशेष अभियान के अंतर्गत जन प्रतिनिधि, सामाजिक तथा अशासकीय संस्थाओं एवं योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग, जनअभियान परिषद की सहभागिता सुनिश्चित कराई जानी है। कलेक्टर श्री सिंह कहा कि जल संरक्षण तथा संवर्धन के अपूर्ण कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर इस अभियान में पूर्ण कराया जाये। मनरेगा से निर्मित तालाब निर्माण के पूर्ण कार्य जो 05 वर्ष या अधिक पुराने हैं तथा जिनमें मनरेगा से जीर्णोद्वार का कार्य आवश्यक है के जीर्णोद्धार गहरीकरण का कार्य अभियान अंतर्गत लिया जाए।

इस संबंध में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव ने निर्देश जारी कर कहा है कि मनरेगा अंतर्गत अनुमन्य कार्यों को ही लिया जाए तथा शेष कार्यों के लिए अन्य मद जैसे 15 वां वित्त आयोग, टाइड फेड, पांचवां वित्त आयोग, राज्य वित्त आयोग, DMF, पंचायत निधि, सांसद विधायक निधि इत्यादि का उपयोग किया जाए। जल संरक्षण कार्यों के तहत पुराने कुएं एवं बावडी जीर्णोद्वार के कार्य पूर्व वर्षों में सघनता से मनरेगा से लिए गए हैं, जीर्णोद्वार के लिए शेष बावड़ियों को मनरेगा के प्रावधानों के अनुरूप लिया जा सकता है।

जल संग्रहण संरचना के पुनरोद्वार/जीर्णोद्वार के अंतर्गत मुख्य रूप से कैचमेंट क्षेत्र में अवरोध का चिन्हांकन कर अवरोधों/अतिक्रमण को हटाकर, फीडर चैनल बनाकर या अन्य आवश्यक उपाय कर पानी की आवक में वृद्धि किया जाना और पानी का रिसाव रोकने के लिये पडल तथा आवश्यक हटिंग कार्य, डूब क्षेत्र का निर्धारण कर उपस्थित अवरोधों/अतिक्रमण को हटाया जाए। पूर्व निर्मित तालाब के पाल (बंड) की मिटटी के कटाव अथवा क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में तालाब के पाल (बंड) को उसके मूल स्वरूप में पुन: निर्मित (Re-Sectioning) किया जाए।

तालाबों की पिंचिंग, बोल्डर-टो तथा घाट आदि की मरम्मत का कार्य, वेस्ट वियर के स्थान तथा रूपांकन में सुधार कर मरम्मत कार्य, मनरेगा के अतिरिक्त अन्य मद से जल संरचनाओं से गाद निकालना एवं गहरीकरण का कार्य किया जाए।जल स्त्रोतों के संरक्षण एवं पुर्नजीवन के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जारी निर्देश में कहा है कि नवीन फीडर चैनल/फीडर बण्ड का निर्माण। कैचमेंट क्षेत्र से अवरोधो को हटाना। हाईड्रोलिक गणना कर चेकडेम/स्टापडेम में गेट लगाना तथा मेन वॉल, साईड वॉल, की- वॉल, एप्रोन इत्यादि एवं

जल संरचनाओं के चयन के साथ-साथ इनके जीर्णोद्धार तथा नवीनीकरण के परिणाम संयोजित (Outcome linked) उददेश्य जैसे – जल प्रदाय, पर्यटन, भू-जल संरक्षण, मत्स्य पालन, सिंघाड़े का उत्पादन इत्यादि चयनित जल संरक्षण तथा संवर्धन संरचनाओं का जीर्णोद्धार/उन्नयन कार्य स्थानीय, सामाजिक, अशासकीय संस्थाओं एवं जनभागीदारी के माध्यम से कराया जा सकता है, जिस के लिए जनभागीदारी से सहयोग प्राप्त किया जा सकता है।

जीर्णोद्धार/नवीनीकरण किये जाने वाले जल संग्रहण संरचना के कैचमेन्ट में आने वाले अतिक्रमण एवं अन्य गतिरोधों को दूर करना। क्रियान्वयन के दौरान जनभागीदारी श्रम, सामग्री, मशीनरी अथवा धन राशि के रूप में सहयोग प्राप्त किया जा सकता है। चिन्हांकन, डूब क्षेत्र के निर्धारण, कर एचएफएल का चिन्हांकन, जल संरचना के विभिन्न घटकों में आवश्यक सुधार तथा उनकी प्राथमिकता का निर्धारण। वेस्टवियर की मूलं ऊंचाई, क्षति, सुधार का इतिहास और परिवर्तन पर समुदाय, स्टेक होल्डर से संवाद कर

आवश्यक सुधारों, तालाब में जमा गाद की मोटाई, बांध के पाल से पानी के रिसाव के संबंध में जानकारी एवं उसका आंकलन। आवश्यकतानुसार बंड तथा बेस्टवियर की लंबाई का सर्वेक्षण, जल संरचनाओं के चयन एवं उन्नयन कार्य में जी.आई.एस. तकनीक का उपयोग किया जाये। जल संग्रहण संरचनाओं से निकाली गई मिट्टी एवं गाद का उपयोग स्थानीय कृषकों के खेतों में किया जाये। जल संरचनाओं के किनारों पर यथासंभव बफर जोन तैयार किया जाये। इस जोन में हरित क्षेत्र/पार्क का विकास किया जाये। जल संरचनाओं के किनारों पर अतिक्रमण को रोकने के लिये फेसिंग के रूप में वृक्षारोपण किया जाये तथा इनके संरक्षण के लिये सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जाये।

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