updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- भोपाल नाका मुगली रोड पर चल रही श्री राम कथा के दूसरे दिन भारी संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण के लिए पहुंचे श्री गोविंद जाने की के अमृत वचन सुनने के लिए भारी संख्या में महिला श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी श्री संत ने कहा कि अच्छी संगत बैठा करो सद्गुणों वाली संगत से हमारी बुद्धि सत्संग करने की प्रेरणा देती है, मनुष्य का चरित्र जल की तरह होता है एक लोटे जल में अगर तुलसी का पत्थर डाले जाएंगे तो वह चरण अमृत बन जाता है।
इसी प्रकार हमारे शरीर रूपी लोटे में आप सत्कर्म और अच्छे कार्यों को ग्रहण करेंगे तो वह भी अमृत में हो जाता है भगवान को प्राप्त करना हो तो धनवान बलवान और सुंदरता को कभी भी दिमाग में मत रखना रघुनाथ को पाने के लिए एक मत और एक चिट होकर अंतरात्मा से याद कर लेना, बुद्ध माता-पिता गरीब पीपल का पेड़ और जलती हुई अग्नि के पास कभी भी घमंड वाली बात मत करना अगर करोगे तो समझो आपके बुरे दिनों की शुरुआत हो चुकी है, जो धन सुख शांति समृद्धि हमें मिलती है वह हमारे प्रारबद्ध के कारण प्राप्त होती हे।
धन्य है वह भारत की भूमि अयोध्या और वृंदावन किसको भगवान ने स्वयं धरती पर आने के लिए चुना हम प्रणाम करते हैं उस पावन भूमि को, चार नजर आपको कवच का काम करती है मां की नजर साधु की नजर महापुरुष की नजर और सत्संग की नजर में रहोगे तो श्रेष्ठ बनकर निकलोगे, आज के कथा पंडाल में हम प्रण करेंगे की बड़े भाई राम की तरह और छोटे भाई भरत की तरह जीवन यापन करोगे तो कभी कोर्ट कचहरी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे जब तक हमारे शरीर में राम शब्द है तब तक हमारे पास सब कुछ है।
अयोध्या की नगरी वैराग्य की धरती है जहां पर जन्मे राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न जैसे भाइयों का त्याग प्रेम और समर्पण की गाथा संसार को सुनाई जाती है, हरि गुरु निंदक दादुर होवई। हरि की और गुरु की निंदा जो सुनता है जिस कानों से उसको गौ हत्या करने का पाप लगता है! जिस प्रकार शिष्य गुरु की बेटा पिता की बुराई नहीं सुन सकता उसी प्रकार घर की बहू भी कभी अपने माता-पिता की बुराई ही नहीं सुनती है, पुनि प्रभु हरषि सत्रुहन भेंटे हृदयँ लगाइ। लछिमन भरत मिले तब परम प्रेम दोउ भाइ॥ जहां पर भाई-भाई प्रेम से रहते हैं वह अयोध्या के समान है।
एक भाई ने भाई के पीछे राजपथ का त्याग किया एक भाई ने भाई के पीछे समर्पण दिखाकर सब कुछ त्याग दिया, बहनों कभी भी आपके पति और रघुपति की बुराई नहीं सुनना चाहिए आपके जीवन को हमेशा सीता माता की तरह चरितार्थ करना चाहिए जिससे जीवन में सुख समृद्धि की रहा दिखाई दे। एक बार त्रेता जुग माहीं। संभु गए कुंभज रिषि पाहीं॥ संग सती जगजननि भवानी। पूजे रिषि अखिलेस्वर जानी॥ एक बार त्रेता युग में शिव अगस्त्य ऋषि के पास गए। उनके साथ जगज्जननी भवानी सती भी थीं। ऋषि ने संपूर्ण जगत् के ईश्वर जानकर उनका पूजन किया।
जब हमें खाने पीने की चीज शुद्ध चाहिए तो मां के अंदर चलचित्र क्रोध आलस ईर्ष्या जैसे गुण को हमें छोड़ देना चाहिए हमारे अंतरात्मा भी रघुनाथ की तरह पुरुषोत्तम बनाकर उसको श्रेष्ठ मनुष्य के रूप में जीवन को सार्थक करना चाहिए हमारा रघुनाथ हर इंसान की पाक पाक की जानकारी रखता है वह संसार पर कृपा बरसता है बुरे कर्मों पर भी नजर रखता है। बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना। कर बिनु करम करइ बिधि नाना॥ आनन रहित सकल रस भोगी। बिनु बानी बकता बड़ जोगी॥
अर्थात
वह बिना ही पैर के चलता है, बिना ही कान के सुनता है, बिना ही हाथ के काम करता है, बिना मुँह के ही सारे रसों का आनंद लेता है और बिना वाणी के बहुत योग्य वक्ता है। जिस प्रकार गौ माता को आज आवारा कहा जाता है आज गौ माता को हम मनुष्य की जरूरत है हम उनकी रक्षा करें गौ माता को धरती पर हमारी रक्षा के लिए भेजा गया है तो हमारा भी धर्म है कि हम गौ माता की रक्षा करें। जब -जब होई धरम की हानी,बाढ़हि असुर अधम अभिमानी, तब-तब धरि प्रभु विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सज्जन पीरा। जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, दुष्टों का प्रभाव बढ़ने लगता है,
तब सज्जनों की पीड़ा हरने के लिए प्रभु का अवतार होता है। इस अवसर पर आसपास के क्षेत्र और नगर के वरिष्ठ मौजूद रहे। कथा सहयोजक डॉ मनोज नागर, बंटी मेवाडा, राजा मेवाडा, विजय खंडेलवाल, जुगल पटेल मीडिया प्रभारी, चेतन वर्मा, चेतन सिंह ठाकुर, सोनू गुणवान, नानूराम मेवाडा, जितेन्द्र सिलोठिया, भगवती सोनी, संध्या बजाज, टीना पांचाल, वरिष्ठ अनोखीलाल खंडेलवाल, जीवन सिंह मंडलोई, कैलाश बगाना, कमल पांचाल, सोभाल सिंह मुलली, राजेंद्र सिंह ठाकुर मरावर, लखन पाटीदार, निर्मल राजपूत, नरेंद्र सिंह भाटी।