updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- अपनी समस्या को समाप्त करने एवं सफल जीवन जीने के लिए विचारों को सकारात्मक बनाने की बहुत आवश्यकता है। समस्याओं का कारण ढूढने की बजाए निवारण ढूढ़े। जीवन को रोगमुक्त,दीर्घायु, शांत व सफल बनाने के लिए हमें सबसे पहले विचारों को सकारात्मक बना ने की आवश्यकता है। मन के विचार ही वास्तव में बीज है। नकारात्मक विचारो का बीज व्यवहार , कर्म , भावना , संस्कार , सम्बन्ध सबको नकारात्मक बनता है।
सकारात्मक विचारों को तनाव मुक्ति की संजीवनी बूटी बताया । उक्त उदगार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू राजस्थान से आये हुए बी के भगवान भाई ने कहे| वे साईं सेवा हास्पिटल में स्थानीय ब्रह्माकुमारीज राजयोग सेवाकेंद्र द्वारा आयोजीय पाठशाला में हास्पिटल स्टाफ और ईश्वर प्रेमी भाई बहनों को खुशहाल जीवन हेतु सकारात्मक चिंतन विषय पर बोल रहे थे | उन्होंने कहा कि समस्या का चिंतन करने से तनाव की उत्पत्ति होती है । मन के विचारों का प्रभाव वातावरण पेड़-पौधों तथा दूसरों व स्वयं पर पड़ता है।
यदि हमारे विचार सकारात्मक है तो उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा । उन्होंने बताया कि मन में चलने वाले लगातार नकारात्मक विचार वर्तमान में अनेक समस्याओं का कारण बनते है। मन के नकारात्मक विचारों से ही तनाव उत्पन्न होता है। सकारात्मक विचारों का स्त्रोत आध्यात्मिकता है। सकारात्मक सोचने वाला हर परिस्थिति को स्वीकार कर विजयी बन सकता है । उन्होंने बताया कि तनाव से नशा व्यसन आदि बुरी आदते लगती है जिससे हमसे भूले होने कि संभावनाए है |
उन्होंने कहा कि सकारात्मक विचार से समस्या समाधान में बदल जाती है। एक दूसरों के प्रति सकारातमक विचार रखने से आपसीभाई चारा बना रहता है। उन्होंने सत्संग एवं आध्यात्मिक ज्ञान को सकारात्मक सोच के लिए आधार बताते हुए कहा कि हम अपने आत्मबल से अपना मनोबल बढ़ा सकते है। सत्संग के द्वारा प्राप्त ज्ञान और शक्तियां ही हमारी असली पूंजी हैं। उन्होंने ने कहा कि राजयोग के निरंतर अभ्यास के द्वारा हम अपने कर्म इद्रियों को संयमित कर अपने आंतरिक सद्गुणों का विकास कर सकते है |
मन में चलनेवाले लगातार नकारात्मक विचारों से जीवन में रूखापन आता है और मानसिक बीमारियां भी होती हैं।अपराधों और व्यसनों के कारण क्रोध बढ़ रहा है। जिस घर में क्रोध होता है वहां बरकत नहीं होती। सकारात्मक चिंतन से सहनशीलता आती है। सकारात्मक चिंतन से कई समस्याओं का समाधान हो जाता है। उन्होंने कहा मनुष्य यदि चाह ले कि वह सकारात्मक है तो क्रोध फटकेगा भी नहीं। आध्यात्मिक ज्ञान को सकारात्मक विचारों का स्रोत बताया। उन्होंने कहा स्वयं को यर्थात जानना, पिता परमात्मा को जानना, अपने जीवन का असली उद्देश्य को जानना जरूरी है।
तनाव मुक्त रहने के लिए हमें रोजाना ईश्वर का चिंतन, गुणगान करना चाहिए। जीवन की विपरीत एवं व्यस्त परिस्थितियों में संयम बनाए रखने की कला है। आध्यात्मिकता का अर्थ स्वयं को जानना | डॉ विवेक सक्सेना जी ने कहा कि वर्तमान की परिवेश में हर एक को किसी न किसी बात का तनाव जरूर होता है। उन्होंने ब्रह्माकुमारीज द्वारा बताई गई बातों को अमल में लाकर तनाव से मुक्त रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि अपनी सकारात्मक सोच बनाकर जीवन को सफलता दिलाते है। इसीलिए अपने सोच को सदा सकारात्मक रखें। स्थानीय ब्रह्माकुमारीज की प्रभारी बी के पंचशिला बहन जी ने ॐ कि ध्वनी कराइ और ॐ ध्वनी का महत्व भी बताया |
मन बुद्धि के द्वारा चांद सूर्य से पार रहने वाली परम शक्ति को मन बुद्धि से याद कर उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग है | हास्पिटल संचालक एस. डी. सक्सेना जी ने भी अपना उद्बोधन दिया और आभार व्यक्त किया | कार्यक्रम की शुरुवात हार पहनाकर और फूलो से स्वागत किया | भगवान भाई ने मनोबल, आत्मबल बढ़ाने के लिए राजयोग का अभ्यास भी कराया गया | कार्यक्रम में डॉ श्रेष्ठा सक्सेना , मनीष , बी के ज्योति बहन जी , बी के संतोष बहन जी , सभी हास्पिटल स्टाफ , बी के भाई बहने भी उपस्थित थे |