updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल होता है, उसे व्यर्थ कर्म कर व्यर्थ ऐसा ही नहीं गंवाना चाहिए। मजबूरी को परीक्षा समझकर उसे धैर्यता और सहनशीलता से पार करना हैं, तो अनेक दुखो और धोखे से बच सकते हैं। जीवन में परिवर्तन लाकर श्रेष्ठ चरित्रवान बनने का लक्ष्य रखना है। तब कारागार आपके लिए सुधारगृह साबित होगा। हमारे जीवन से काम, क्रोध, लोभ, मोह अहंकार, इर्ष्या, नफरत आदि बुराई ही हमारी दुश्मन है। जिसके वश होने से हमारे से भूले हो गई। अब हमे अपने आंतरिक बुराईयों को दृढ़ता से निकालना हैं। यह कारागृह नही, बल्कि सुधारगृह है। इसमें आपको स्वयं में सुधार लाने हेतु रखा हुआ है, शिक्षा देने हेतु नहीं।

इस कारागृह को संस्कार परिवर्तन का केंद्र बना लो इस मे एक दुसरे से बदला लेने के बजाए स्वयं को बदलना है बदला लेने से समस्या और ही बद जाती है। उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय से आये हुए ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहे। वे जिला कारागृह (जेल) में बंद कैदियों को कर्म गति और व्यवहार शुद्धि विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कारागृह के इस एकांत स्थान पर बैठकर स्वयं को परिवर्तन करने के लिए सोचों कि मैं इस संसार में क्यों आया हूं? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या हैं, मुझे परमात्मा ने किस उद्देश्य से यहां भेजा है? मैं यहां आकर क्या कर रहा हूं? ऐसी बातों का चिंतन करने से संस्कार, व्यवहार परिवर्तन होगा।

उन्होंने कहा कि यह कारागृह आपके जीवन को सुधार लाने हेतु तपोस्थल है। उन्होंने कहा कि हम किसके बच्चे हैं? जिस परमात्मा के हम बच्चे हैं, वह तो शांति का सागर, दयालू, कृपालू, क्षमा का सागर है। हम स्वयं को भूलने से ऐसी गलतियां कर बैठते हैं। भगवान भाई ने कैदियों को कहा कि बदला लेने के बजाय स्वयं को ही बदलकर दिखाने की प्रवृति रखनी है। उन्होंने कहा कि हम ऐसा कोई कर्म ना करें जिस कारण धर्मराज पूरी में हमें सिर झुकाना पडे, पछताना पडे, रोना पडे। स्वयं के अवगुण या बुराईयां हैं उसे दूर भगाना हैं, ईर्ष्या करना, लडऩा, झगडऩा, चोरी करना, लोभ, लालच, यह मनोविकार तो हमारे दुश्मन हैं। जिसके अधिन होने से हमारे मान, सम्मान को चोट पहुंचती हैं। जिस भूलो के कारण हम यहा आये है उस भूलो को या बुराईयां दूर करने से तो हमारे अंदर की अपराधिक प्रवति में परिवर्तन आएगा।

इन अवगुणों ने और बुराईयों ने हमें कंगाल बनाया इससे दूर रहना है। जीवन में नैतिक मूल्यों की धारणा करने की आवश्यकता है। जीवन में सद्गुण न होने के कारण ही समस्याएं पैदा होती है। भगवान भाई ने कहा कि जो जैसा करता है वैसा फल पाता है। हमारे मन में पैदा होने वाले विचार कर्म से पहले आते हैं। उन्होंने बन्दियों को बताया कि बीती बात को भुला देना चाहिए तथा आगे की सोचनी चाहिए कि हे परमात्मा मेरे से कोई बुरा कार्य न हो। गलती करने वाले से माफ करने वाला बडा होता है। बदला लेने वाला दूसरों को दुख देने से पहले अपने आप को दुख देता है।

सभी इंसान ईश्वर की संतान है तथा सभी एक महान आत्मा है, सभी संसार में अपना-अपना कर्तव्य करने के लिए आते हैं। अत: प्रत्येक व्यक्ति को यही सोचना चाहिए कि मुझे अच्छे कर्म करने के लिए संसार में जन्म लिया है, न कि बुरे कर्म करने के लिए। अत: हमें सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए। स्थानीय ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से बी के पंचशिला बहन जी ने बताया कि मनुष्य ने विषय वासनाओं की चादर ओढ़ी हुई है जो भगवान से वेमुख कर देती है। अगर भगवान से सर्व सम्बन्धों से याद किया जाए तो भगवान की शक्ति आ जाएगी और तन-मन में खुशी शान्ति आ जाएगी व सर्व मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी।

उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्था का विस्तार से परिचय दिया। जेल सहायक अधीक्षिका ज्योति तिवारी जी ने भी अपने सम्बोधन में बन्दियों को बताया कि आप जैसा सोचोगे वैसा ही बन जाओगे। उन्होंने बताया कि बताई बातों को अपने जीवन में प्रयोग करोगे तो अवश्य ही आप बुरी आदतों को छोड दोगे तथा अपने आप अच्छा सोचने लगेंगे और जेल से छुटने के बाद अच्छे नागरिक की तरह जीवन यापन करेंगे। अत: हमें सदैव अच्छा सोचना चाहिए तथा बुरी आदत को छोड़ देना चाहिए। अंत में उन्होंने ब्रह्माकुमारीज सस्था ऐसे कार्यक्रमों के लिए धन्यवाद किया भविष्य में ऐसे कार्यक्रम करने हेतु ब्रह्माकुमारी को निमन्त्रण भी दिया।

स्थानीय ब्रह्माकुमारीज कि राजयोग शिक्षिका बी के संतोष बहन जी बी के भगवान भाई जी का परिचय देते हुए कहा कि भगवान भाई जी ने 800 से अधिक जेलों में और 5000 से अधिक स्कुलो में कार्यक्रम कर अपना नाम इण्डिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कर चुके है। कार्यक्रम के अंत में आपराध मुक्त बनने, मनोबल बढाने, बुरी आदतों को छोडऩे और सस्कार परिवर्तन के लिए भगवान भाई ने कॉमेंट्री द्वारा मेडिटेशन राजयोग कराया। कार्यक्रम में जेल के कार्यवाहक प्रमुख मुख्य प्रहरी मोहम्मद अजहर, बीके ज्योति बहन, बी के महेश भाई बके आकाश भाई भी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुवात गुलदस्ते देकर में बीके भगवान भाई का स्वागत किया। ब्रह्माकुमारीज के तरफ से कुछ आध्यात्मिक साहित्य भी संस्कार परिवर्तन हेतु वितरण किया गया।

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