updatenews247.com आष्टा 7746898041- एक बात जिंदगी भर याद रखना, किसी को धोखा मत देना, धोखे में बड़ी जान होती है। यह कभी मरता नहीं। घूम कर वापस एक दिन उसी के पास पहुंच जाता है। क्योंकि धोखे को अपने ठिकाने से बहुत प्यार होता हैं। कबीरा आप ठगाइए और ना ठगीये कोय। आप ठगे सुख उपजे और ठगे दुख होय। उक्त प्रेरक भाव श्री श्यामा श्याम चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा खंडेलवाल ग्राउंड नया दशहरा मैदान पर आयोजित सात दिवसीय संगीत मय श्री राम कथा के पंचम दिवस राम कथा के ओजस्वी वक्ता भागवत भूषण संत श्री मिट्ठू पुरा सरकार द्वारा व्यक्त किए गए।
मुख्य यजमान डॉक्टर रतन सिंह द्वारा पूज्य महाराज श्री का शाल श्रीफल और अपर्णा डालकर स्वागत किया ।पूज्य गुरुदेव द्वारा कथा में आज भगवान श्री राम की बाल लीलाओं का बड़ा ही सुंदर चित्रण किया। भगवान अभी छोटे ही थे। और उस समय इस धरा धाम पर राक्षसों का बड़ा आतंक था। उस समय राक्षस धार्मिक कार्यक्रम, कथा ,भागवत, यज्ञ,हवन ,पूजन में हमेशा विघ्न डालते थे। उसी समय महर्षि विश्वामित्र जी यज्ञ कर रहे थे। राक्षस लोग बाधा उत्पन्न करते। विश्वामित्र जी जानते थे। इन दुष्टों का नाश केवल भगवान श्री राम ही कर सकते हैं। गाधी तनय मन चिंता व्यापी। हरि बिना मरही ना निसचर पापी।
इसलिए विश्वामित्र अयोध्या गए। और यज्ञ की रक्षा के लिए राम लक्ष्मण को महाराज दशरथ से मांग कर लाये। और भगवान राम ने आकर सभी संतों से कहा कि आप निर्भय होकर यज्ञ करिए, में राक्षसों को देखता हूं। प्रात काल बोले मुनि साई। निर्भय यज्ञ करहु तुम जाई। इस प्रकार भगवान ने राक्षसों को मारकर विश्वामित्र जी के यज्ञ को पूर्ण किया। आगे कथा में गुरुदेव ने बताया कि इस समय जनकपुर में महाराज जनक जी ने सीता जी का स्वयंवर आयोजन किया था। जिसमें विश्वामित्र जी अपने साथ राम लक्ष्मण को लेकर स्वयंवर में जा रहे थे। रास्ते में भगवान ने एक बड़ी भारी शीला को देखा। गुरुदेव से पूछा गुरुदेव यह विशाल शीला किसकी है। तो गुरुदेव ने बताया कि यह महर्षि गौतम ऋषि की धर्मपत्नी अहिल्या है।
और पति के श्राप के कारण पत्थर बन गई। और यह अब आपके चरणों की रज चाहती है। जिससे इनका उद्धार हो जाए। तब भगवान श्री राम के चरण रज के स्पर्श होते ही वह विशाल शीला श्राप मुक्त होकर सुंदर स्त्री के रूप में प्रकट हो गई। इस प्रकार भगवान ने देवी अहिल्या का उद्धार किया। अहिल्या उद्धार की कथा सुनकर सारे श्रोता भाव विभोर हो गए। सभी की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी। स्त्री का जीवन बहुत ही कठिन है। सारा जीवन दूसरों पर आश्रित दूसरों के अधीन कभी पिता के कभी पति के तो कभी पुत्र के सहारे रहना पड़ता है। कृति युग जननी नारी जग माही। पराधीन सपनेहु सुख नाही। अहिल्या उद्धार की बहुत ही मार्मिक कथा सुनकर सभी श्रोताओं की आंखों से अश्रु धारा बहने लगी।
कल कथा में भगवान श्री राम सीताजी का विवाह संपन्न होगा। कथा के बीच गुरुदेव द्वारा गाए हुए सुंदर मधुर भजनों पर सभी हरि भक्तों ने झूम झूम कर नृत्य किया। प्रसाद दसरथ मेवाड़ा की ओर वितरण किया गया। इस अवसर पर संजीव पांचम, अमरसिंह राजपुत , बलवान सिंह सेंवखेडी, माखन सिंह बगड़वदा, रतन सिंह मेंबर, राजेंद्र सिंह मुरावर, कमल ताम्रकार लखन पाटीदार तकेसिंह परोलिया कुमेर सिंह बमुलिया, प्रदीप सिंह शोभा खेड़ी, बहादुर सिंह ठाकुर, निलेश देववाल विक्रम सिंह दोनिया पुष्पा पिपलोदिया, नारायण सिंह डॉक्टर हरनावदा हेमंत राठौड़, सवाई सिंह दोनीया सहित बड़ी संख्या में माऋशक्तियों की उपस्थिति रही।