updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- शहर के इंदौर नाका स्थित मास्टर आफ ताओ कराटे एसोसिएशन के तत्वाधान में कराते अकादमी के द्वारा तीन दिवसीय कराटे प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। प्रतियोगिता का समापन किया जाएगा। कराटे के इतिहास में सदैव प्रसिद्ध रहने वाले बु्रसली के जन्म दिन के मौके पर यहां पर उपस्थित खिलाडिय़ों ने श्रद्धा सुमन भेंट किए।
कार्यक्रम के दौरान एसोसिएशन के कोच लखन ठाकुर और श्रीमती विमला ठाकुर ने कहा कि मास्टर ब्रुसली आधुनिक मार्शल आर्ट्स के जन्मदाता माने जाते है तथा ब्रुसली आज पूरे दुनिया में जिस मिक्स मार्शल की लोकप्रियता है उसकी सर्वप्रथम नींव मास्टर ब्रुसली ने ही रखी थी। आज ब्रुसली हमारे बीच नहीं है परंतु पूरे दुनिया में आज भी उन्हें याद किया जाता है। इस संबंध में जानकारी देते हुए मास्टर आफ ताओ कराटे एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी
प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि एसोसिएशन के कोच लखन ठाकुर के मार्गदर्शन में तीन दिवसीय कराटे प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। जिसका समापन बुधवार को किया जाएगा। प्रतियोगिता में प्रमुख रूप से त्रबंयक ठाकुर, नरेन्द्र गौर, शैलेन्द्र राय, आयुष मालवीय, अभिषेक सोनी, उजेर खान, पायल बागवान, अन्मोल यादव, जयसमीन मालवीय, आंकाक्षा शाक्य, प्रिंयाशी राठौर, जान्वी चौहान, प्रिंसी परमार, अनंत पांडे, राघव, ऋषभ आदि शामिल है।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर- हाल ही में वर्षा होने के कारण गेंहूं में जड़माहू कीट एवं विभूति आदि किटों का प्रभाव कम हुआ है। फिर भी यदि गेंहू में जड़माहू किट का प्रभाव एवं गेंहूं में पिलापन दिख तों दवा का छिड़काव जरूर करें। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा वर्षों की भाँति इस वर्ष भी गेंहूं फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है। गेंहूं फसल के खेतों में अनेक स्थानों पर पौधे पीले होकर सूख रहे हैं। समय पर निदान न किये जाने पर इस कीट द्वारा गेंहूं फसल में बड़ी क्षति की सम्भावना रहती है।
जड़ माहू कीट गेंहूं के पौधे के जड़ भाग में चिपका हुआ रहता है, जो निरन्तर रस चूसकर पौधे को कमजोर व सुखा देता है। प्रभावित खेतों में पौधे को उखाड़कर ध्यान से देखने पर बारीक-बारीक हल्के पीले, भूरे व काले रंग के कीट चिपके हुए दिखाई देते हैं। मौसम में उच्च आर्द्रता व उच्च तापमान होने पर यह कीट अत्यधिक तेजी से फैलता है। अनुकूल परिस्थितियाँ होने पर यह कीट सम्पूर्ण फसल को नष्ट करने की क्षमता रखता है। कृषि विज्ञान केन्द्र, सेवनिया के कृषि वैज्ञानिक श्री धर्मेंद्र पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि जिन क्षेत्रों में अभी तक गेंहूं फसल की बुवाई नही की गयी है, वहाँ पर बुवाई से पूर्व इमिडाक्लोरोप्रिड 48 प्रतिशत,
एफएस. की 01 मिली. दवा अथवा थायोमेथॉक्जॉम 30 प्रतिशत, एफएस दवा की 1.5 मिली मात्रा प्रति किलोग्राम की दर से बीज उपचार अयवश्य करें। जिन क्षेत्रों में बुवाई कार्य पूर्ण किया जा चुका है व कीट प्रकोप के लक्षण प्रारम्भिक अवस्था में हैं वहाँ किसान भाई इमिडाक्लोरोप्रिड़ 17.8 एसएल की 80 -100 मिली. मात्रा अथवा थायोमेथॉक्जॉम 25 प्रतिशत डब्लूपीकी 80 ग्राम मात्रा अथवा एसिटामाप्रिड 20 प्रतिशत एसपी दवा की 60 ग्राम मात्रा प्रति एकड़, 150-200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें या किसान भाई थायोमेथॉक्जॉम 30 प्रतिशत कीटनाशक की 250 मिली मात्रा को 50 किलो यूरिया खाद में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।