updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- जनसामान्य में एचआईवी की जागरूकता को बढ़ाने और लोगों में इस बीमारी के प्रति व्याप्त भय और भ्रांतियों को दूर करने के लिए विश्व एड्स दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाएगें। स्वाथ्य विभाग ने बताया कि एचआईवी एड्स संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन भी किया जाएगा। जिले की विभिन्न स्वास्थ्य एवं शैक्षणिक संस्थाओं में जागरूकता कार्येक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जागरूकता गतिविधियों के साथ एचआईवी की काउंसलिंग, ट्रिपल टेस्टिंग, केयर सपोर्ट एवं ट्रीटमेंट की जानकारी भी दी जाएगी।
विश्व एड्स दिवस के अवसर पर एड्स जागरूकता गतिविधियों के आयोजन के लिए, संबंधित विभागों एवं संस्थानों के सहयोग एवं समन्वय के संबंध में चर्चा की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि इस वर्ष विश्व एड्स दिवस “लेट कम्यूनिटी लीड” की थीम पर मनाया जाएगा। एड्स पखवाड़े में एक से 15 दिसंबर तक स्वास्थ्य विभाग की सभी स्वास्थ्य संस्थानों में आयोजन किए जायेंगे। विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में एचआईवी एड्स की भ्रांतियां को दूर करने के संबंध में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। एड्स पखवाड़े के दौरान एचआईवी एड्स के बारे में भ्रांतियों को दूर किया जाएगा।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- हाल ही में वर्षा होने के कारण गेंहूं में जड़माहू कीट एवं विभूति आदि किटों का प्रभाव कम हुआ है। फिर भी यदि गेंहू में जड़माहू किट का प्रभाव एवं गेंहूं में पिलापन दिख तों दवा का छिड़काव जरूर करें। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा वर्षों की भाँति इस वर्ष भी गेंहूं फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है। गेंहूं फसल के खेतों में अनेक स्थानों पर पौधे पीले होकर सूख रहे हैं। समय पर निदान न किये जाने पर इस कीट द्वारा गेंहूं फसल में बड़ी क्षति की सम्भावना रहती है।
जड़ माहू कीट गेंहूं के पौधे के जड़ भाग में चिपका हुआ रहता है, जो निरन्तर रस चूसकर पौधे को कमजोर व सुखा देता है। प्रभावित खेतों में पौधे को उखाड़कर ध्यान से देखने पर बारीक-बारीक हल्के पीले, भूरे व काले रंग के कीट चिपके हुए दिखाई देते हैं। मौसम में उच्च आर्द्रता व उच्च तापमान होने पर यह कीट अत्यधिक तेजी से फैलता है। अनुकूल परिस्थितियाँ होने पर यह कीट सम्पूर्ण फसल को नष्ट करने की क्षमता रखता है। कृषि विज्ञान केन्द्र, सेवनिया के कृषि वैज्ञानिक श्री धर्मेंद्र पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि जिन क्षेत्रों में अभी तक गेंहूं फसल की बुवाई नही की गयी है, वहाँ पर बुवाई से पूर्व इमिडाक्लोरोप्रिड 48 प्रतिशत,
एफएस. की 01 मिली. दवा अथवा थायोमेथॉक्जॉम 30 प्रतिशत, एफएस दवा की 1.5 मिली मात्रा प्रति किलोग्राम की दर से बीज उपचार अयवश्य करें। जिन क्षेत्रों में बुवाई कार्य पूर्ण किया जा चुका है व कीट प्रकोप के लक्षण प्रारम्भिक अवस्था में हैं वहाँ किसान भाई इमिडाक्लोरोप्रिड़ 17.8 एसएल की 80 -100 मिली. मात्रा अथवा थायोमेथॉक्जॉम 25 प्रतिशत डब्लूपीकी 80 ग्राम मात्रा अथवा एसिटामाप्रिड 20 प्रतिशत एसपी दवा की 60 ग्राम मात्रा प्रति एकड़, 150-200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें या किसान भाई थायोमेथॉक्जॉम 30 प्रतिशत कीटनाशक की 250 मिली मात्रा को 50 किलो यूरिया खाद में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।