updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- हर साल की तरह इस साल भी शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित संकल्प वृद्धाश्रम में देव उठनी ग्यारस के तत्वाधान में दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया गया था। इस मौके पर गुरुवार को भव्य रूप से आयोजन किया गया था, वहीं शुक्रवार को शुक्र प्रदोष पर महोत्सव का समापन भगवान शिव के विशेष अभिषेक से किया गया था।
महोत्सव के दौरान उज्जैन स्थित शनि मंदिर के पुजारी सचिन त्रिवेदी के अलावा पंडित सिद्धार्थ शर्मा के मार्गदर्शन में यहां पर उपस्थित श्रद्धालुओं आश्रम के संचालक राहुल सिंह, श्रीमती निशा सिंह, नटवर कुशवाहा सहित अन्य की उपस्थिति में भगवान शिव की पूजा अर्चना की और पूजा में ऋतु फल एवं मिठाई आदि का भोग लगाया गया और दो दर्जन से अधिक दीप प्रज्जवलित किए गए।
कार्यक्रम के दौरान सबसे पहले भगवान गणेश की अर्चना की गई और उसके पश्चात पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक आरंभ किया गया। शाम को यहां पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने मंगल पाठ किया। पंडित श्री त्रिवेदी ने बताया कि यह नवंबर माह का अंतिम प्रदोष व्रत है, कार्तिक माह का दूसरा प्रदोष भी है। 3 शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और सिद्धि योग बन रहे हैं, जिसमें सूर्यास्त के बाद भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
शुक्र प्रदोष व्रत का बड़ा ही धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस विशेष दिन पर साधक उपवास रखते हैं और भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करते हैं। यह व्रत उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है, जिनके जीवन में विवाह संबंधी परेशानियां आ रही हैं, जो व्रती सच्चे समर्पण के साथ इस व्रत को पूरा करते हैं, भगवान शिव उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। व्रत सुबह से शाम तक रखा जाता है और उसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने के बाद इसका पारण किया जा सकता है,
जो लोग अपने जीवन में परेशानियों का सामना कर रहे हैं और मानसिक समस्याओं से लगातार जूझ रहे हैं, उन्हें प्रदोष के दिन पूजा करने और व्रत रखने का संकल्प जरूर लेना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें अपने रास्ते में आने वाली सभी समस्याओं और परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा। कहते हैं भगवान शिव को प्रसन्न करना बहुत आसान है और इसलिए उनका एक नाम भोले भी है। पौराणिक कथाओं में, राक्षस और देवता शिव की पूजा करते थे और भगवान शिव से मनचाहा आशीर्वाद प्राप्त करते थे। भगवान शिव के लिए सभी प्राणी समान हैं।