धंनजय जाट आष्टा- हरियाली अमावस्या का धार्मिक और प्राकृतिक महत्व होने के कारण यह जनमानस में बहुत अधिक लोकप्रिय है। इस अमावस्या पर प्रकृति पेड़ पौधे तथा घने वृक्षों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए ही इसे हरियाली अमावस्या के तौर पर जाना जाता है।
श्रावण मास में जो अमावस्या आती है उसे हरियाली अमावस कहते हैं। पेड़ पौधों से लगाव हमारा नैतिक कर्तव्य होना चाहिए और नित्य प्रतिदिन हमें इनकी देखभाल करना चाहिए। पेड़ पौधों की देखभाल करना हमारी पढ़ाई का एक अभिन्न अंग है।
एक पौधा बड़ा होकर जब पेड़ बनता है तो कई प्रकार के उपकार मनुष्य के ऊपर करता है।सर्वप्रथम तो वह हमें ऑक्सीजन देता है जो भी हमारे जीने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है इसके बाद फल देता है फूल देता है एवं कई पेड़ पौधों के पत्ते औषधि के रूप में काम आते हैं।
अंत में यदि पेड़ सूख जाता है तो उसकी लकड़ी जलाने में काम आती है जो कि एक ऊर्जा का रूप है। इस प्रकार एक पौधा पेड़ बनने तक मनुष्य प्रजाति पर कई प्रकार के उपकार करता है। जिस उपकार को चुकाना असंभव है। अतः हमें प्रकृति से प्रेम कर उसे संजोए रखना है ताकि हमारा जीवन भी सुखमय आनंदमय व्यतीत हो सके।
उक्त बातें हरियाली अमावस्या पर शास्त्री स्मृति विद्या मंदिर स्कूल संस्था प्राचार्य सुनील शर्मा द्वारा विद्यार्थियों को असेंबली में बताई गई। वही नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा हरियाली अमावस्या पर पौधारोपण किया गया एवं बच्चों ने इसे संजोए रखने का संकल्प लिया।