धंनजय जाट/आष्टा। अभी वर्तमान समय में चतुर्मास चल रहा है इन चार महीनों में हमारे संत महात्मा भी एक स्थान पर रहकर अपनी भगवत भक्ति सेवा साधना करते हैं। चतुर्मास में सत्संग, प्रवचन, भजन, पूजन, स्मरण, तप, व्रत, दान आदि का विशेष महत्व होता है।

इसलिए चतुर्मास में प्रत्येक सनातन धर्मी को इस पावन पवित्र समय का सदुपयोग भगवत कार्यों के लिए करना चाहिए। उक्त विचार अदालत रोड स्थित श्री राधा कृष्ण मंदिर परिसर में प्रभात फेरी महिला मंडल द्वारा आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के व्यास आसन से भागवत भूषण संत श्री मिट्ठू पुरा सरकार द्वारा व्यक्त किए गए।

कथा में आगे संत श्री ने भगवान कृष्ण द्वारा जरासंध से युद्ध की लीला का वर्णन करते हुए बताया कि, मगध देश के राजा जरासंध ने मथुरा पर 17 बार आक्रमण किया, पर हर बार भगवान श्री कृष्ण ने उसे युद्ध में परास्त किया अंत में 18वीं बार युद्ध करने को आया, तो भगवान मैदान छोड़कर भाग गए।

इसलिए भगवान का एक नाम रणछोड़राय पड़ा। मथुरा छोड़ने के बाद भगवान ने समुद्र में द्वारिका नगरी बसाई। और यहीं पर पहले बड़े भाई बलराम जी का विवाह रेवती जी के साथ संपन्न हुआ। और फिर भगवान श्री कृष्ण जी का विवाह रुकमणी जी के साथ हुआ।

विवाह की कथा कहते हुए महाराज श्री ने बताया कि विदर्भ देश के राजा भीष्मक के 5 पुत्र और एक पुत्री थी पुत्री का नाम रुकमणी जी था। जो बचपन से ही भगवान श्री कृष्ण के रूप और गुण की चर्चा सुन सुन कर मन ही मन उनको अपना पति मान चुकी थी पर रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी कृष्ण का विरोधी था।

वह अपनी बहन का विवाह चेदी नरेश शिशुपाल से करना चाहता था उसने शिशुपाल की बारात भी बुलवा ली थी इसलिए रुकमणी जी ने एक वृद्ध ब्राह्मण के हाथ भगवान श्री कृष्ण के पास संदेश पहुंचाया। और निवेदन किया कि मैं आपसे बचपन से ही प्रेम करती हूं और विवाह करना चाहती हूं मेरा भाई इसका विरोध करता है।

अतः आप पधारे और मुझे स्वीकार करें। संदेश पाकार भगवान श्री कृष्ण रथ लेकर आए और मंदिर में पूजन करने आई रुक्मणी जी का हरण कर द्वारिका जी ले आए। यहीं पर भगवान का विवाह रुकमणी जी के साथ धूमधाम से संपन्न हुआ।

विवाह के मंगल गीतों पर सारे श्रोता ‌भक्ति भाव में सरोवर होकर नृत्य करने लगे। आज दुर्गा महिला मंडल , दुर्गा मंदिर निर्माण सेवा समिति, हिंदू उत्सव समिति अलीपुर द्वारा पूज्य गुरुदेव का साल श्रीफल भेंट कर स्वागत किया।

इस अवसर पर घनश्याम जांगड़ा मुकेश नायक ,रमेश परमार अध्यापक, पूरणमल नायक, गिरीश पंडिया अशोक पांचाल, राजाराम, सुरेश डोंगरे, डॉ रतन सिंह, अके सिंह पटाडा, हिम्मत सिंह मेवाडा, हरदेव मेवाड़ा, डॉ नारायण सिंह हरनावदा

सहित बड़ी संख्या में भक्तगण पधारे कथा श्रवण का लाभ प्राप्त किया। आज का प्रसाद सुरेश डोंगर एवं श्रीमती सरिता मेवाडा नजरगंज की ओर से वितरण किया गया।

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