धंनजय जाट आष्टा- सत्युग द्वापर त्रेता युग में यज्ञ हवन तप करने से जो फल प्राप्त होता था वह कलयुग में केवल हरि नाम के स्मरण मात्र से प्राप्त हो जाता है कलयुग में केवल प्रेम से हरि का भजन करते रहो तो मनुष्य भवसागर से पार हो जाता है।

कलयुग केवल नाम अधारा। सुमरी सुमर नर उतरीं पारा। उक्त सद्विचार प्रभात फेरी मंडल द्वारा आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस व्यास गादी पर विराजित मालवा माटी के सुप्रसिद्ध भागवत कथाकार मिट्ठू पुरा सरकार ने व्यक्त किए।

पूज्य गुरुदेव ने कलयुग के अनेक भक्तों के माध्यम से कथा में बताया कि इस कलिकाल में भगवान के अनेक भक्त जैसे रैदास नरसिंह मेहता मीराबाई धन्ना जाट कर्मा बाई जैसे असंख्य भक्त हुए जिन्होंने केवल हरि भजन से ही भगवान को प्राप्त कर लिया

परम भागवत कर्मा बाई का जन्म राजस्थान के नागौर जिले में एक छोटे से गांव कालवा में जाट परिवार में हुआ था पिता का नाम जीवन राम जी डूडी और मां का नाम‌ रत्ना देवी था माता-पिता भगवान के परम भक्त है नित्य का नियम था कि भगवान को भोग लगाने के पश्चात भोजन प्रसादी ग्रहण करते थे

एक दिन दोनों पति-पत्नी को जरूरी काम से जाना पड़ा तो ठाकुर जी की सेवा का दायित्व करमा बाई को मिला मात्र 6 साल की कर्मा बाई ने भगवान के लिए खिचड़ी का भोग तैयार किया उस अबोध बालिका के प्रेम क बस भगवान स्वयं प्रकट हो गए और करमा बाई के हाथ की खिचड़ी का प्रसाद भगवान ने पाया यह कलयुग के साक्षात घटना है

इसके अलावा भी मीराबाई तुलसीदास जी नरसिंह मेहता को भगवान के साक्षात दर्शन हुए मीराबाई और कबीर दास दो ऐसे भक्त हुए जो कि सा शरीर भगवान के धाम को चले गए किसी ने भी इनके शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया इसके अलावा सृष्टि की उत्पत्ति की कथा भक्त सूरदास कर्मा बाई मनु शतरूपा के वंश की कथा बड़े विस्तार से सुनाई

भगवान ऋषभदेव के जन्म की कथा को बड़े विस्तार से वर्णन किया ऋषभदेव जी के ही पुत्र भरत जी हुए जिनके नाम से इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा इसके पहले भारत देश का नाम अजनाभ खंड था इन्हीं भरत जी को अंतिम समय में एक हिरण के बच्चे में प्रेम हो गया और उस हिरण के बच्चे के वियोग में ही इन्होंने अपने प्राण छोड़ दिए

जिसके कारण अगला जन्म हिरण का हुआ इसीलिए कहते हैं अंत मती सो गति इसलिए मनुष्य को बचपन से ही ऐसे प्रयास करना चाहिए की मृत्यु के समय मुख पर भगवान का नाम हो शास्त्र में लिखा है कि मृत्यु के समय जिसके मुख पर भी भगवान का नाम आ जाए तो बड़ा से बड़ा पापी भी भगवान के धाम को चला जाता है।

जाकर नाम मरत मुख आवा। अधमऊ मुकत होई श्रुति गावा। कथा से पूर्व मधुसूदन परमार राजेंद्र सिंह पटेल रमेश चंद्र भूतिया बाबूलाल मालवीय कैलाश गुरु द्वारा मंच पर विराजित संत श्री का साल श्रीफल से स्वागत किया कल कथा में भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा।

संगीतकार प्रहलाद सिंह प्रजापति के गाये मधुर भजनों पर सभी श्रोता भावविभोर होकर नृत्य करने लगे आज कथा श्रवण हेतु रायसिंह सुनीता मालवीय पूर्व पार्षद मोहन सिंह प्रह्लाद सिंह हरदेव मेवाड़ा नरेंद्र सिंह भाटी डॉक्टर लखन सिंह चेतन भाटी रमेश चौरसिया अशोक सोनी जेपी सोनी सहित बड़ी संख्या में भक्तगण सम्मिलित हुए।

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