धनंजय जाट/आष्टा। अलीपुर स्थित माता मंदिर में चल रही शिवपुराण के तृतिय दिवस आचार्यश्री पंडित सुनील शास्त्री जी ने बताया कि देवाधिदेव भगवान आशुतोश के जीवन से इस श्रावण मास में पूजन करते-करते कुछ सीखने और समझने योग्य है
ये महादेव कैसे हुए ? जो अमृत पीते हैं वो देव बनते हैं जो रास्ट्र, समाज और प्रकृति की रक्षा के लिए विष को भी प्रेम से पी जाएँ वो महादेव बन जाते हैं, बिना विष को पीये, विशमता को पचाए कोई भी महान नहीं बन सकता।
आज के समय में अमृत की चाह तो सबको है पर विष की नहीं, बिना विष को स्वीकारे कोई अमृत तक नहीं पहुँच सकता है, संघर्ष, दुःख, प्रतिकूल परिस्थिति, अभाव ये सब तुम्हें निखार रहे हैं। समस्या को स्वीकार करना ही समस्या का समाधान है,
कोई भी समस्या तब तक ही है जब तक आप उससे डरते हो और उसका सामना करने से बचते हो, मनुष्य के संकल्प के सामने बड़ी से बड़ी चुनौती भी छोटी हो जाती है, और याद रहे अधिक पाने की इच्छा ही दुःख का सृजन करती है।
आज कथा श्रवण करने वालो में घनश्याम जांगडा, रमेश परमार, कन्हैयालाल गेहलोत, मुकेश नायक, रवि पंडया, अमरसिंह घनघौर, पुरण नायक, नरेन्द्र गुठानिया, अनिल राठौर, रेवाराम विश्वकर्मा, ललित झंवर, दिनेश गुरू, खुशीलाल, दिलिप सांवरिया, कैलाश नारायण शर्मा, बद्रीलाल सहित काफी संख्या में माताएं बहने उपस्थित थी।