धंनजय जाट/सीहोर:- केंद्र एवं राज्य शासन के निर्देश पर परिवहन कार्यालय द्वारा जिले के सभी शैक्षणिक संस्थाओं के संचालकों को निर्देश दिए है कि स्कूल बसों में बच्चों के सुरक्षित परिवहन के लिए निर्धारित गाईड लाईन्स का पालन करना सुनिश्चित करें।
जिला परिवहन अधिकारी श्री रितेश तिवारी ने जानकारी दी कि जिले के सभी स्कूलों में संचालित बसों का रंग पीला होना चाहिए। केन्द्रीय मोटरयान नियम 1939 के प्रावधान अनुसार बसों के आगे और पीछे बड़े एवं स्वच्छ अक्षरों में स्कूल बस लिखा हो।
किराए की स्कूल बसों पर आगे एवं पीछे विद्यालय सेवा में (ऑन स्कूल ड्यूटी) लिखा हो। विद्यालय द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली किसी बस में निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे नहीं बैठाये जाए।
प्रत्येक बस में अनिवार्य रूप से प्राथमिक चिकित्सा हेतु फर्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था की जाये। बसों की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां (होरीजोन्टल ग्रिल) अनिवार्य रूप से लगाई जाये। प्रत्येक बस में अग्नि शमन यन्त्र की व्यवस्था हो।
बस में स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर बड़े अक्षरों में अवश्य लिखा जाये।बस के वाहन चालक को भारी वाहन चलाने का न्यूनतम 05 वर्ष का अनुभव होना चाहिये तथा पूर्व में ट्रेफिक नियमों का दोषी ठहाराया गया नहीं होना चाहिये।
केन्द्रीय मोटरयान नियम 1989 के नियम-17 के प्रावधानों अनुसार बस में वाहन चालक के अतिरिक्त एक अन्य व्यस्क व्यक्ति भी हो, यदि बस में छात्रायें भी हो तो उस बस में महिला अध्यापक अथवा सहायिका की व्यवस्था सुनिश्चित हो। बच्चों के बस्ते रखने के लिये सीट के नीचे जगह होना चाहिये।
बसों में नियमानुसार दो दरवाजे प्रवेश एवं निर्गम हो तथा आपातकालीन खिड़की लगी हों। बस में गति नियंत्रक 40 किलोमीटर प्रतिघण्टा की स्पीड पर फिक्स किया हुआ लगा हो। स्कूल बसों के लिए परमिट एवं फिटनेस आवश्यक है।
वाहनों का पीयूसी प्रमाण पत्र होने चाहिए। मध्यप्रदेश शासन द्वारा छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु शैक्षणिक संस्था बसो के चालकों के चरित्र सत्यापन किये जाने एवं बसों में जी.पी.एस. एवं सी.सी.टी.वी. कैमरे लगे हो। स्कूली वाहन के रूप में एल.पी.जी से संचालित वाहन का प्रयोग सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत विस्फोटक है।
इसलिए स्कूल प्रबंधन द्वारा यह निगरानी रखी जाए कि, स्कूल का कोई भी बच्चा एल. पी. जी. संचालित वाहन से स्कूल न जाये और ऐसा होने पर उसका दायित्व होगा कि, इस संबंध में तत्काल पुलिस प्रशासन एवं परिवहन विभाग को सूचित किया जाये। ऐसा न करने पर दुर्घटना की स्थिति में संपूर्ण जबाबदेही स्कूल प्रबंधन की होगी।
18 जुलाई से दस्तक अभियान में घर-घर जाएगा दस्तक दल
धनंजय जाट/सीहोर:- बाल स्वास्थ्य एवं पोषण विधि के लिए शासन द्वारा सतत प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में दस्तक अभियान का आयोजन पूरे प्रदेश में किया जा रहा है। दस्तक अभियान में दस्तक दल द्वारा जीरो से 5 वर्ष तक के बच्चों के घर-घर जाकर 10 गतिविधियां की जायेगी।
उल्लेखनीय है कि बीमार नवजात बच्चों की पहचान, निमोनिया, डायरिया एनीमिया एवं कुपोषण से ग्रसित बच्चों की पहचान की जाएगी। साथ ही विटामिन ए का अनुपूरण, जन्मजात वृकित वाले बच्चों की पहचान, टीकाकरण से छूटे बच्चों की पहचान की जाएगी। साथ ही इन सभी बीमारियों के लक्षणों से समुदाय को जागरुक करते हुए बाल आहारपूर्ति संबंधी समझाइश दी जायेगी।
ऑनलाईन कर सकते हैं मानव अधिकार सम्बंधी शिकायत
धनंजय जाट/सीहोर:- मानव अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों के निराकरण हेतु आयोग में नागरिक अपनी शिकायत ऑनलाइन फ्री पोर्टल www.hrcnet.nic.in पर पत्राचार द्वारा टोल फ्री नम्बर 144334 पर भी कर सकते हैं।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के मदद सेंटर में उपस्थित होकर लिखित शिकायत या मोबाइल नम्बर 9810298900 एवं नागरिक सेवा केंद्र यानि सीएससी में 30 रुपए का शुल्क जमा करके अपनी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज करा सकते हैं।