धंनजय जाट/आष्टा संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज ने 22 वर्ष की उम्र में दीक्षा लेकर उस मान्यता और परंपरा को समाप्त किया, जिसमें 60 — 70 वर्ष की उम्र में दीक्षा ली जाती थी।
युवाओं के आचार्य श्री प्रेरणा स्रोत बने, इसीलिए अनेक युवा सांसारिक सुख संपदा आदि छोड़कर त्याग तपस्या और आत्म कल्याण के मार्ग पर अग्रसर हुए हैं। जब आचार्य श्री 22 साल की उम्र में दीक्षा लेकर युवाओं के प्रेरणा स्रोत बन गए तो आप लोग भी 8 वर्ष की आयु में प्रतिमा लेकर अपना आत्म कल्याण कर सकते हैं।
क्रम से प्रतिमाएं लेंगे तो कर्मों की निर्जारा भी अवश्य होगी। हमें हमेशा किसी की बुराई नहीं अच्छाई को देखना चाहिए और अच्छे गुणों को ग्रहण करना चाहिए।
उक्त बातें संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक दुर्लभ सागर महाराज ने छतरपुर से बावनगजा के बिहार के दौरान सोमवार 27 जून को
आष्टा नगर में प्रवेश के पश्चात श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र पर आशीर्वचन के दौरान कही। आपने कहा कि 8 वर्ष की उम्र में सम्यक दर्शन प्राप्त हो सकता है तो, 8 वर्ष की उम्र में प्रतिमा क्यों नहीं ले सकते। आष्टा शब्द का उन्होंने विस्तार पूर्वक व्याख्या कर सभी को आश्चर्यचकित किया।
आपने कहा कि श्रावक चाहे तो 8 वर्ष की उम्र में मुनि बन सकते हैं। लेकिन श्रावक ही नहीं बन सके हैं तो कैसे काम चलेगा। मुनि दुर्लभ सागर जी ने कहा आज सभी लोग सुख के पीछे भाग रहे हैं, सुख के लिए आचार्य श्री उमा स्वामी ने रास्ता बताया है।
प्राणी मात्र पर अनुकंपा रखो ,चारित्र का पालन करो ,क्षमा भाव रखें, लोभ का त्याग करें ,स्वर्ग जाने जैसा काम करने पर ही स्वर्ग जा पाएंगे। मुनि श्री ने कहा कि संयम का पालन करना होगा। पांच अनुव्रत व संयम का पालन इस दुनिया में जरूरी है।
छठवीं प्रतिमा तक श्रावक श्राविकाएं शादी कर सकते हैं।लेकिन सातवीं प्रतिमा ब्रह्मचारी के लेने के पश्चात फिर शादी नहीं हो सकती है। आपने कहा बिना धर्म का पालन किए धर्मात्मा नहीं बन सकते। धर्म को सुरक्षित करने के लिए आपको आगे आना होगा। मुनि श्री ने कहा कि कम उम्र में आचार्य विद्यासागर महाराज ने मुनि मार्ग खोला है।
आप भी कम उम्र में प्रतिमाएं लेकर मार्ग को प्रशस्त करें ।किसी की कमी नहीं सभी की विशेषताएं निकालें। हर प्राणी में विशेषता होती है उसकी विशेषता को ही देखें ,कमियों को नहीं। 27 जून 2021 को इस आष्टा की पावन धरा पर आया था।
1 वर्ष की अवधि में इसी दिन मेरा आगमन हुआ है ।हमेशा हर व्यक्ति की विशेषताएं निकाले कमियां नहीं। हर प्राणी में अच्छे भाव को देखें दुर्लभ सागर महाराज ने कहा कि दूसरे की प्रशंसा करोगे तो उच्च गोत्र का बंध होगा। मुनि दुर्लभ सागर महाराज ने कहा कि सामने वाले की अच्छाई देखें बुराइयों को नहीं।
दूसरों की बुराई ना देखें उनके गुणों अच्छाई को देखें ।नरक गति में जाने का मार्ग आज व्यक्ति स्वयं बना रहे हैं । दूसरे की बुराई ना देखें हैं। नरक गति मैं जाने का मार्ग व्यक्ति बना रहा है। हमेशा अच्छी संगति करें।बुरी संगति नहीं। हम उम्र का प्रभाव पड़ता है। अच्छे लोगों के साथ रहे।