धंनजय जाट/आष्टा- उक्त उदगार पञ्चपरमेष्टि महामण्डल विधान की आराधना के अवसर पर आर्यिका श्री पूर्ण मति माता जी ने दिव्योदय जैन तीर्थ किला पर व्यक्त किये!

अगर तुम से कोई द्वेष करता है तो तुम भी उससे द्वेष करने लगते हो, जैसा माहौल मिलता है वैसा हम करने लगते है, प्रभु कोन सी भूल है जो आप जैसा नही बन पा रहा हु।

मेरे अंदर वह वीतरागता प्रगट क्यो नही हो पा रही है, आपसा ज्ञानी नही बन पा रहा हु, स्वाध्याय करता हु पर मन की मलिनता नही जा रही इन सब बातों का एक ही जवाब है हमारे द्वारा होने वाली धार्मिक क्रिया मात्र क्रिया ही बन कर रह गई है।

दो घड़ी निज नाथ के नजदीक तो आओ अपनी प्रभुता देख लो बाहर न भरमाओ, आआपकी आत्मा आनंद कंद है गुण चेतन्य है जो कुछ भी दिख रहा है सब कुछ मिटने वाला है नाशवान है।

जो सब को देख रहा है वह एक दिन मिटने वाला है
मानतुंग आचार्य को अडतालिस तालों में कैद कर दिया गया था आचार्य श्री कहते है मुझे कैद कर दोगे पर मेरी आत्मा को कैद नही कर पाओगे।

वे आदिनाथ भगवान की भक्ति में इतने लीन हो गए कि उन्होंने अपनी भक्ति के माध्यम से ही अनंत शक्ति प्रकट हो गई थी,ऐसे थे हमारे महान आचार्य मानतुंग महाराज जी।

जो भी आते है मेरे पास सभी कहते है माता जी हम आये है कुछ बात करो पर में कहती हूं अब मुझे बस अपने प्रभु से बात करनी है, संसार की बातों में कोई शांति नही मिलती,

अब तो बस एक ही प्यास है मेरे प्रभु आपसे बात करने में जो आनंद है कही ओर नही पञ्चपरमेष्टि भगवंतों की आपने आज आराधना की है यह अवसर बहुत पुण्य से आपको मिला है।

पञ्चपरमेष्टि महामण्डल विधान प्रातः काल ध्वजारोहण के साथ प्रारम्भ हुआ जिसमे पूज्य आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी ने अपने श्रीमुख एवं मधुर कंठ से स्वयं के द्वारा रचयित विधान के अर्घ्य समर्पित करवाये।

विधान की नैमित्तिक क्रियाएं विधिवत ब्रम्हचारी श्री दीपक जी झांसी द्वारा करवाई गई, विधान में सोधर्म इंद्र दिलीप जी लक्ष्पति,यज्ञनायक जीतमल मनोज कुमार जैन, चक्रवर्ती दिलीप जी सेठी, सनत कुमार इंद्र रमेश जैन आदिनाथ सनत कुमार इंद्र,

कुबेर इंद्र कचरुमल मुकेश कुमार जैन ,ईशान इन्द्र मुकेश कुमार आनन्द कुमार पोरवाल,महेन्द्र इंद्र मनोहर लाल रितेश कुमार जैन, ध्वजारोहण श्रीमती अंजली जैन इंदौर आदि महापात्र शांतिधारा करने का महेंद्र जैन जादूगर,सुरेंद्र जैन शिक्षक, अंकित जैन, अंजली जैन एवं

पूज्य आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी के कर कमलों में शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य लाभमल जी यश कुमार जी जैन,परिवार को प्राप्त हुआ संगीतकार शरद जैन एन्ड पार्टी ने अपने भजनों से सभी भक्त जनों को नृत्य भक्ति कर आनंदित किया।

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