धंनजय जाट/आष्टा। इन दिनो लेाग तेजी के साथ विष्वासघात जहां कर रहे है। वही रूपये लेकर हड़पने की इच्छा रखते है। चाहे फिर उधार लिए रूपये के बदले में चेक देकर विष्वास जमाने की कोषिष तो करते है। लेकिन मंषा रूपये हड़पने की रहती है। यही कारण है कि कुछ लोग चेक देने के बावजूद भी बैेक में रूपये नही रखते ऐसे ही एक मामला न्यायालय में चल रहा था।
जिसमें न्यायाधीष ने अपने निर्णय मे आरोपी को जहां तीन माह की सजा दी। वही ढाई लाख रूपये का प्रतिकर स्वरूप परिवादी को देने का निर्णय पारित किया। बताया जाता है कि परिवादी किरण राका पत्नि स्वर्गीय मनोहर लाल राका निवासी सिकंदर बाजार ने अच्छी जान पहचान होने के कारण मदद स्वरूप अभियुक्त आरोपी को जरूरत पड़ने पर 1 लाख 50 हजार रूपये दिए थे।
जिसका चेक आरोपी ने चेक क्रमंाक 231257 दिनांक 4 नवंबर 2016 को इंडसंड बैंक षाखा आष्टा के खाते का दिया था। जब समय सीमा पूरी हुई तो परिवादी किरण राका ने उक्त चेक बैंेक मे लगाया तो अभियुक्त के खाते में उक्त राषि नही थी तत्पष्चात किरण रांका ने कई बार अपने रूपये मौखिक रूप से मांगे लेकिन हर बार आरोपी रूपये के लिए टालमटोल करता रहा। इसलिए किरण राका ने अपने अधिवक्ता धीरज धारवां आर एम धारवां के माध्यम से न्यायालय प्रथम श्रेणी के समक्ष अपील की।
माननीय न्यायालय ने दोनो पक्ष की बात सुनी वही अभियुक्त आरोपी को कई बार पत्र जारी किया। लेकिन वह न तो संतोषजनक जवाब न्यायालय को दे पाया और न ही परिवादी को राषि का भुगतान कर पाया। परिवादी के वकील धीरज धारवां ने धारा 138 के अंतर्गत न्यायालय में प्रकरण पंजीबद्ध कर परिवादी की ओर से मुकदमा दायर किया। प्रकरण लगातार लगभग 4 वर्ष तक चलता रहा। माननीय न्यायालय ने दोनो पक्षो की बात एवं दोनो वकीलो की बहस सुनने के बाद यह आदेष दिया कि अभियुक्त आरोपी पर 2 लाख 50 हजार रूपये का प्रतिकर लगाया गया। वही अभियुक्त को तीन माह के सश्रम कारावास से दंडित किया है।