

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- नगर के सांदीपनि विद्यालय उमावि आष्टा में लोक षिक्षण संचालनालय म.प्र. भोपाल के निदेर्षानुसार गुरूवार को गुरू पूणिर्मा के अवसर पर गुरू पूणिर्मा महोत्सव का आयोजन किया गया। कायर्क्रम का शुभारंभ राष्ट्रपति पुरूस्कार से सम्मानित सेवानिवृत्त षिक्षक पंडित संतोष शमार्, सेवानिवृत्त षिक्षक पंडित दामोदरदास शमार्, आई.डी.बी.आई. बैंक शाखा प्रबंधक शाहिद हफीज़ खान, प्राचायर् सितवत खान ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित एवं गुरू वंदना कर किया गया। सवर्प्रथम संस्था प्राचायर् सितवत खान द्वारा

अतिथियों का पुष्पमाला पहनाकर स्वागत किया गया एवं अपने उद्बोधन में बताया गया कि शासन की मंषानुसार सांदीपनि शासकीय उमावि आष्टा में गुरू पूणिमार् के अवसर पर गुरू पूणिर्मा महोत्सव का 2 दिवसीय आयोजन दिनांक 09 से 10 जुलाई के मध्य किय गया गया। प्रथम दिवस विद्यालय में अध्ययनरत विद्याथिर्यों को प्राथर्ना सभा में षिक्षकों द्वारा गुरू पूणिर्मा के महत्व एवं पारंपरिक गुरू षिष्य संस्कृति पर प्रकाष डाला एवं विद्यालय में अध्ययनरत विद्याथिर्यों को प्राचीन काल में प्रचलित गुरूकुल व्यवस्था एवं उसका भारतीय संस्कृति में प्रभाव विषय पर समस्त विद्याथिर्यों को निबंध लेखन हेतु प्रतियोगिता आयोजित कराई।

प्राचायर् सितवत खान ने अपने उद्बोधन में कहा कि यदि हम एक ऐसे समाज की बात करते है, जिसमें शांति, सौहादर्, नैतिकता, आदषर् हो और जो बहुत ही सामांजस्यपूणर् वातावरण में रहे इस हेतु समाज में गुरूजन की महत्वपूणर् भूमिका रहती है। वतर्मान युग वैज्ञानिक युग है, जिसमें व्यक्ति की आवष्यकता अभिषाप बनती जा रही है। जो व्यक्ति प्राचीनकाल में थोड़े सी सुख सुविधा में अपना जीवन यापन करता था लेकिन वतर्मान में सब कुछ पाकर भी संतुष्ट नही है।
कायर्क्रम में उपस्थित राष्ट्रप्रति पुरूस्कार से सम्मानित सेवानिवृत्त षिक्षक पंडित संतोष शमार् ने

विद्याथिर्यों को संबोधित करते हुए कहा हमें चाहिए कि हम उनके बताए हुए मागर् पर चलें और जीवन में अच्छे इंसान बनें। गुरू पूणिर्मा का यह पवर् हमें विनम्रता और आभार का भाव सिखाता है। पंडित श्री शमार् द्वारा कायर्क्रम में उपस्थित समस्त षिक्षकों तथा विद्याथिर्यों से कहा कि आज गुरू पूणिर्मा के पावन महोत्सव पर हम सभी अपने अपने गुरूओं को नमन करते हुए यह संकल्प लें कि हम जीवन मंे हमेषा सीखते रहेंगे ओर आगे बढ़ते रहेंगे तथा हम कभी अपने गुरूओं के आदषोर् को नही भूलेंगे। कायर्क्रम में उपस्थित सेवानिवृत्त षिक्षक पंडित दामोदरदास शमार् ने कहा कि आज हम यहां एक अत्यंत पावन अवसर गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में एकत्रित हुए हैं।

यह दिन गुरु के सम्मान, श्रद्धा और कृतज्ञता को समर्पित होता है। यह न केवल एक पवर् है, बल्कि हमारी भारतीय संस्कृति और परंपरा की आत्मा है। संस्था के षिक्षक अंत्येष धारवां द्वारा अपने उद्बोधन में कहा कि प्राचीनकाल से ही गुरू का विषेष महत्व रहा है और वतर्मान मंे गुरू की आवष्यकता और बढ़ गई है। पदमा परमार, धीरज शमार्, वीरेन्द्र सिंह, नीता जैन, दिनेष गहरवाल, सम्राट ढोके आदि ने भी इस अवसर पर विचार व्यक्त किए। कायर्क्रम का संचालन अंत्येष धारवां और सतीष वमार् द्वारा किया गया।

विद्यालय मंे इस अवसर पर निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित करवाई गई जिसका विषय प्राचीनकाल में प्रचलित गुरूकुल व्यवस्था एवं उसका भारतीय संस्कृति में प्रभाव था जिसमें आनंद चन्द्रवंषी ने प्रथम, लक्ष्मी सोलंकी द्वितीय एवं पियुष मेंवाड़ा तृतीय स्थान प्राप्त किया। विद्याथिर्यों को सम्मानित कर पुरूस्कार प्रदान किए गए। इस अवसर पर असमा खानम, सम्राट ढोके, पदमा परमार, पवन राया, निहायत मंसूरी, रघुवीर सिंह, राखी पोहाने, जितेन्द्र धनवाल, भूपेन्द्र सिंह, धमेर्न्द्र मेवाड़ा, जितेन्द्र मेवाड़े, नवीन मौयर्, मोनिका जैन, नेहा अंसारी, मनोज कुमार करमोदिया, डाॅ. दीक्षा खंडेलवाल, मो. इमरान, अभिलाषा श्रीवादी, राम सिंह, तेजपाल सिंह, वीरेन्द्र सिंह,

स्मिता नायर, हरिनारायण सिंह, संदीप जायसवाल, पवित्रा कुराड़िया, आराधना चन्द्रवंषी, महेष नरगावा, प्रकाष यादव, रवि कुमार, शैलेन्द्र कुमार, अंतिमबाला, दीपक डावर, लक्ष्मी परमार, आषा रावत, जसपाल सिंह, राजेन्द्र मौयर्, पल्लवी वमार्, पूजा असाड़े, कृतिका वमार्, नीता जैन, रामेष्वर दामड़िया, निमर्लदास बैरागी, जितेन्द्र कुमार, हेमंत मेवाड़ा, गौरीषंकर मालवीय, दिनेष गहरवाल, धीरज शमार्, राजेष मालवीय, मनोज बड़ोदिया, विजय मंगल बगाना, निकिता शमार्, डी.एस. मांडवा, कमलेष कुमार वमार्, मुकुंद सिंह बरोड़िया, ज्ञान सिंह मेवाड़ा, राजेष राठौर, आषीष विष्वकमार् आदि उपस्थित थे।

