थाना आष्टा पुलिस की जुआरियों पर बड़ी कार्रवाई05 आरोपी गिरफ्तार, ₹18,050 नगद व 52 ताश पत्ते जप्त

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- दिनांक 09/07/2025 को थाना आष्टा पुलिस को विश्वसनीय मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि लंगापुरा, आष्टा स्थित रफीक के मकान के आँगन में कुछ लोग जुआ खेल रहे हैं। सूचना से वरिष्ठ अधिकारियों – पुलिस अधीक्षक सीहोर श्री दीपक कुमार शुक्ला, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती सुनीता रावत, एवं एसडीओपी आष्टा श्री आकाश अमलकर को अवगत कराया गया, जिनके निर्देशन में त्वरित कार्रवाई हेतु टीम गठित की गई। थाना प्रभारी निरीक्षक गिरीश दुबे के मार्गदर्शन में गठित टीम ने दबिश दी।

दबिश के दौरान निम्न 05 आरोपियों को रंगे हाथ जुआ खेलते हुए गिरफ्तार किया गया। आरोपियों के कब्जे से कुल ₹18,050/- नगद एवं 52 ताश के पत्ते बरामद किए गए। सभी आरोपियों के विरुद्ध थाना आष्टा में जुआ एक्ट के अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।रफीक खा जो मौके से फरार हुआ प्रकरण मे आरोपी बनाया गया है जो अपने आँगन मे जुआ खिलबा रहा था। सराहनीय भूमिका- इस कार्रवाई में थाना प्रभारी निरीक्षक गिरीश दुबे, प्रधान आरक्षक पुष्पेंद्र द्विवेदी, प्रआर मुकेश शर्मा, आरक्षक अमन जाटव, आर मेहरवान परमार , शुभम मेवाड़ा, अभिषेक गोस्वामी।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- मातृत्व शक्ति की प्रतीक तथा मालवांचल की आध्यात्मिक हस्ती पूज्य कृष्णा मां के सानिध्य में चल रहे गुरुपूर्णिमा अमृत महोत्सव के दौरान आज नगर में श्री कृष्णा भक्त मण्डल एवम ब्रह्मानन्द जन सेवा संघ द्वारा पूज्य मां कृष्णा की शोभा यात्रा निकाली गई । आज उनका जन्मदिन भी था । शोभायात्रा गायत्री मन्दिर से आरम्भ हो कर नगर के प्रमुख मार्गों से निकली।
प्रभु प्रेमी संघ के संयोजक तथा पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार की अगुवाई में प्रगति चौराहे पर शोभायात्रा का भव्य स्वागत किया गया । पूज्य माता जी को शाल श्रीफल भेंट कर उपस्थित जंन ने आशीर्वाद लिया । प्रभु प्रेमी संघ के साथियों ने श्रद्धालुओं ने फलाहारी प्रसाद भी वितरित किया ।

बताते चलें कि कृष्णा मां ने आष्टा नगर में अपना आश्रम स्थापित किया है जिससे नगर की आध्यात्मिक गतिविधियां पुष्ट हुई हैं । कृष्णा मां के दिव्य आश्रम में अमृत महोत्सव के साथ ही प्रवचन एवम सत्संग का लाभ भी देश भर से आये श्रद्धालुओं को मिल रहा है ।
प्रभु प्रेमी संघ के संयोजक कैलाश परमार ने नगर में चल रही सभी धार्मिक गतिविधियों का अनुमोदन करते हुए कहा कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरातल पर हमारी कर्मशीलता सकारात्मक दिशा में बढ़ती रहे यही सभी प्रभु प्रेमी जन की कामना रहती है ।
प्रभु प्रेमी संघ के महासचिव प्रदीप प्रगति , वरिष्ठ समाज सेवी मोहनसिंह अजनोंदिया , अजित जैन आस्था , पूर्व पार्षद शैलेश राठौर, एडवोकेट पल्लव प्रगति , शिवनारायण चौरसिया , चंचल ताम्रकार , मनीष सेन ,संजय जैन , संतोष मालवीय आदि ने शोभायात्रा का स्वागत कर पूज्य माताजी का आशीर्वाद लिया ।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- श्री ब्रह्मानंद जन सेवा संघ, कृष्णा धाम मालीपुरा आष्टा के पावन तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय श्री गुरु पूर्णिमा अमृत महोत्सव के द्वितीय दिवस पर हजारों गुरु भक्तों ने अपने गुरु की अमृतवाणी का लाभ लिया! आज के सत्संग में श्रद्धेय कृष्णा मां ने अपनी ओजस्वी वाणी में बताया कि:- 1 पुरुष यदि अहंकार छोड़ दे और नारी जिद करना छोड़ दे तो फिर वैवाहिक जीवन स्वर्ग जैसा बन जाता है!

आज जितने भी पारिवारिक क्लेश हो रहे हैं सब इसी कारण से हो रहे है! पति-पत्नी दोनों की नहीं बन रही है इस कारण परिवार टूटते जा रहे हैं!इन परिस्थितियों को देखते हुए आज संतों की बहुत आवश्यकता है क्योंकि संतो के सानिध्य से व्यक्ति में विवेक जागृत होता है और वह हर कार्य विवेक पूर्ण करता है। 2 यदि जीवन में बड़ी से बड़ी समस्याएं या मुसीबत आ जाए तो घबराना नहीं चाहिए! समस्या से यह कह दो कि तेरे से बड़ा मेरा गुरु है मेरा भगवान है! हमने जैसा चाहा और हो गया तो हम खुश रहते हैं और यदि नहीं हुआ तो भगवान खुश रहते हैं!

हमने कुछ चाहा और नहीं हुआ तो समझो वह काम हमारे हित में नहीं था यदि यह भाव रहेंगे तो हम हमेशा खुश रहेंगे! हमारे लिए क्या अच्छा है क्या बुरा है यह हमसे ज्यादा हमारा गुरु जानता है हमें भले ही लगता हो कि हमारा यह काम नहीं हुआ लेकिन गुरु व भगवान की नजर में वह कार्य हमारे हित में नहीं था!एक चोर चोरी करने जा रहा था ठोकर लगी गिर गया और पैर टूट गया वह दुखी हुआ किंतु भगवान को खुशी हुई क्योंकि भगवान ने चोर को एक और चोरी का पाप करने से बचा लिया! भगवान और गुरु कभी अपने भक्तों का बुरा नहीं चाहते

वह हमेशा अपने भक्तों का कल्याण ही चाहते हैं! 3 फिक्र, चिंता, मन कि चंचलता हमेशा व्यक्ति को गुरु और भगवान से दूर रखती है!परमात्मा प्राप्ति की सबसे बड़ी बाधा अशांत मन है! एक प्रसंग में मां ने कहा कि :-एक साधु और उनका शिष्य जा रहे थे! शिष्य के झोले में सोने की ईट रखी थी जिससे वह हमेशा विचलित और चिंतित रहता था!यही फिकर रहती थी कि इसे कोई चुरा ना ले! शिष्य शौच करने गया जब तक साधु ने ईट को कुएं में फेंक दिया!शिष्य आया देखा झोले में में सोने कि नहीं है! साधु ने कहा यही सोने की ईंट तुम्हें अशांत और विचलित कर रही थी!

इसलिए मैंने इसे कुएं में फेंक दिया! अब तुम्हें परमात्मा प्राप्ति में कौन बाधा नहीं रहेगी! 4 सत्संग वह मानसरोवर है जिसमें आने से व्यक्ति को शांति मिलती है! एक हाथी जख्मी हो गया उसे पक्षी चोंच कर मार रहे थे तभी वह सरोवर में जाकर बैठ गया!उसे सरोवर में जाने से शांति मिली उसी प्रकार व्यक्ति भी जब सत्संग रूपी सरोवर में बैठ जाता है तो उसकी सारी परेशानियां सारी चिंता है मिट जाती है और वह सुखी और शांत हो जाता है! 5 जीवन में संतोष बहुत जरूरी है भगवान ने जो दिया है उसका सदुपयोग करते हुए

संतोषी बने किसी दूसरे का धन ऐश्वर्य देखकर अपने आप को दुखी ना करें! भगवान ने यदि धन दिया है शदकर्मों में लगाए,स्वस्थ शरीर दिया है परमार्थ के कार्यों में लगाए, स्वस्थ्य मन दिया है तो भगवान की भक्ति में लगाए!यदि ऐसा किया तो निश्चित ही जीवन सुखी होगा! 6 जीवन में सुख-दुख आते हैं किंतु जो उनसे विचलित नहीं होता वह व्यक्ति हमेशा सुखी रहता है सुख आये तो ज्यादा उत्साहित ना हो और दुख आए तो ज्यादा दुखी ना हो! इसलिए कहा है कि :- ना खुशी अच्छी है ना मलाल अच्छा है! भगवान जिस हाल में रख ले,वह हाल अच्छा है!

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