चारित्र उपकरण वंदनावली का हुआ विशेष आयोजन- संयम ही जीवन का सार है- प.पू. साध्वीवर्या नम्रव्रता श्री जी म.सा.

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- नगर के श्री महावीर स्वामी श्वेताम्बर जैन मंदिर, गंज में चातुर्मास हेतु साध्वीमण्डल मंदिर के उपाश्रय में विराजमान है और प्रतिदिन प्रातः 9 से 10.15 तक उनके प्रवचन एवं सत्संग का लाभ सभी को प्राप्त हो रहा है उनके द्वारा करवाये जा रहे धार्मिक आयोजन धर्मानुरागियों के लिये मोक्ष का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। साध्वीमंडल में ढंक तीर्थोद्धारिका प.पू. साध्वी. श्री चारूव्रताश्रीजी म.सा. की शिष्या प.पू. साध्वी श्री नम्रव्रता श्री जी म.सा., मग्नव्रताश्रीजी म.सा. और मीतव्रता श्री जी म.सा. शामिल हैं।

रविवार को प.पू. साध्वीवर्या नें अपने प्रवचन में जीवन में संयम का महत्व बताया, उन्होेनें कहा कि प्रकृति नें सभी जीवों में मनुष्य को जो विशेष चेतना शक्ति प्रदान की है उसका पूर्ण लाभ तभी उठाया जा सकता है जब जीवन में संयम हो। यदि जीवन में संयम नहीं है तो मनुष्य की यही चेतना अनिष्टकारी बन जाती है और इसी चेतना को सही मार्ग दिखाने का कार्य प्रभु महावीर नें किया है अब हमे केवल प्रभु महावीर को मानने के साथ साथ उनके बतायें मार्ग पर भी अग्रसर होना है यही सच्चा जैनत्व है।

हम जन्म से जैन हैं साथ ही हमें कर्म से भी सदैव जैन बने रहना है तभी जीवन की सार्थकता है। प्रवक्ता अतुल सुराणा नें बताया कि प्रवचनो के साथ आज चारित्र उपकरण वंदनावली कार्यक्रम भी विशेष आयोजन हुआ। जिसमें जैन साधु-साध्वी अपने संयम जीवन में जिन न्यूनतम उपकरणों का उपयोग अपनी दिनचर्या में करते हैं उनके उपयोग सहित उनकी महत्ता का संगीतमय वर्णन किया गया। प्रत्येक उपकरण को नन्हीं बालिकाओं के माध्यम से प्रस्तुत करते हुये उसका बखान किया गया।

किस प्रकार जैन साधु-साध्वी भोजन हेतु लकड़ी के पात्र उपयोग में लाते हैं, हाथ में छड़ी क्यों रखते हैं, साफ-सफाई के लिये कौन सा उपकरण एवं पहनने के लिये कौन से वस्त्र आदि का उपयोग करते हैं व तपस्या-आराधना हेतु कौन सी वस्तुयें उपयोग में आती हैं सभी की जानकारी श्रावक-श्राविकाओं को बालिकाओं के माध्यम सें व भाव विभोर करने वाले श्रीमती स्मिता वोहरा तथा अमन गांग के भक्ति भजनो के माध्यम से दी गई। संयम जीवन के सबसे महत्वपूर्ण उपकरण ओघा जिसे रजोहरण भी कहा जाता है उसे अपने घर ले जाने का लाभ कल्याणमल, राजेन्द्रकुमार,

उमेश कुमार श्रीश्रीमाल परिवार को प्राप्त हुआ। विभिन्न लाभार्थियों एवं तपस्वियो का बहुमान भी किया गया एवं तपस्या के रूप में आयम्बिल व एकासने का आयोजन हुआ। संयम के सारथि के रूप में छोटे-छोटे बालक-बालिकाओं नें भी इन तपस्याओं में भाग लिया तथा परम पूज्य साध्वीवर्या द्वारा इस चातुर्मास के दौरान विभिन्न प्रकार के संयम रखने की प्रतिज्ञा भी उपस्थित जनों को दिलवाई गई। आयोजन का सफल संचालन श्रीमती सलोनी अक्षय चतरमुथा द्वारा किया गया।

आयोजन में समाजजन एवं विभिन्न पदाधिकारी नगीन वोहरा एडवोकेट, प्रदीप धाड़ीवाल, प्रताप चतरमुथा, देशचंद वोहरा, डॉ विजय कोचर, डॉ. प्रकाश कोचर, प्रवीण धाड़ीवाल, पवन सुराणा, प्रभात धाड़ीवाल, अतुल सुराणा, आलोक वोहरा, कमल सुराणा, मनोज सुराणा, त्रिलोक वोहरा, राहुल चतरमुथा, कुलदीप कोचर, मनोज ललवानी, पराग धाड़ीवाल, अंकित वोहरा, गौरव कोठारी, अखिलेश छाजेड़ सहित समस्त महिला मंडलो की उपस्थिति रही।

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