चंद्र ग्रहण विशेष- कुंभ राशि एवं शतभिषा नक्षत्र में लगेगा खंडग्रास चंद्रग्रहण, निम्न राशियों अनुसार शुभ,मध्यम एवं अशुभ फलदायी रहेगा, ग्रहणकाल एवं वेधकाल में यह करे कार्य- पंडित मनीष पठक

updatenews247.com धंनजय जाट 7746898041- भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 07,सितंबर 2025 रविवार को  खग्रास चंद्रग्रहण दृश्यमान रहेगा यह ग्रहण का प्रवेश रात्रि 08:58 मिनीट से होकर स्पर्श रात्रि 09:57 मिनिट पर होकर मोक्ष रात्रि 01:27 मिनिट होगा चंद्रग्रहण का सूतककाल दोपहर 12:57 मिनिट से प्रारंभ होगा यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका,ग्रीनलैंड को छोड़कर संपूर्ण विश्व में दृश्यमान चंद्रग्रहण शतभिषा नक्षत्र एवं कुंभ राशि में रहेगा अतः इन राशि एवं नक्षत्र वालों को ग्रहण के दर्शन नहीं करना चाहिए

अपितु अपने इष्टदेव की आराधना गुरुमंत्र के जाप धार्मिक ग्रंथों का पठन पाठन करना चाहिए  खग्रास चंद्रग्रहण निम्नानुसार रहेगा
*ग्रस्तास्त चंद्रग्रहण(खंडग्रास) समयानुसार निर्णय*
07 सितम्बर 2025 रविवार
ग्रहण नक्षत्र *शतभिषा*
ग्रहण राशि *कुंभ*
ग्रहण स्पर्श  *संध्या 09:57 पर*
ग्रहण मोक्ष *रात्री 01:27 पर
वेधकाल  दोपहर 12:57 से प्रारंभ
*राशियों का फल:-*
सुखद शुभ फल- *मेष,वृषभ,कन्या,धनु* सामान्य मध्यम फल- *मिथुन,सिंह,तुला,मकर*

अशुभ फल- *कर्क, वृश्चिक,कुंभ,मीन*
*चंद्रग्रहण का क्या रहेगा प्रभाव*
यह चंद्र ग्रहण भारत सहित संपूर्ण विश्व में दिखाई देगा इस चंद्र ग्रहण से संपूर्ण विश्व में रोग ग्रस्त था प्राकृतिक आपदा आपसी वैमनस्यता के साथ ही तैलीय खाद्य पदार्थों,धातु,शेयर बाजार आदि में तेजी रहेगी
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*क्यों नहीं किया जाता सूतक में तर्पण?*

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल में वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय होती है। इस दौरान कोई भी पूजा-पाठ, भोजन, दान, तर्पण या धार्मिक अनुष्ठान वर्जित रहते हैं। इसलिए पितरों का तर्पण भी तभी किया जाता है जब सूतक समाप्त हो या उससे पूर्व हो।
सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले, यानी 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से ही शुरू हो जाएगा। अतः इस दिन श्राद्ध या तर्पण केवल दोपहर 12:57 बजे तक ही किया जा सकेगा।

*ग्रहणकाल व वेधकाल में इन नियमों का करें पालन*
1- सूतक काल में भोजन नहीं बनाया जाता और न ही खाया जाता है. इसे दूषित काल माना जाता है. हालांकि बीमार, वृद्ध और गर्भवती महिलाओं के लिए इस तरह के नियम लागू नहीं हैं.
2-  भोजन पहले से बना रखा है तो, उनमें सूतक काल शुरू होने से पहले ही कुशा या तुलसी का पत्‍ता तोड़कर डाल दें. दूध और इससे बनी चीजों, पानी में भी तुलसी का पत्‍ता डालें. तुलसी के पत्ते के कारण दूषित वातावरण का का असर खाने की चीजों पर नहीं होता.
3- सूतक लगने के साथ गर्भवती महिलाएं विशेष रूप से खुद का खयाल रखें. सूतक काल से लेकर ग्रहण पूरा होने तक घर से न निकलें. अपने पेट के हिस्‍से पर गेरू लगाएं.

सूतक काल से ग्रहण काल समाप्‍त होने तक गर्भवती स्त्रियां चाकू, कैंची आदि किसी भी नुकीली चीज का इस्‍तेमाल न करें. न ही सिलाई-कढ़ाई करें. 
4- ग्रहण को खुली आंखों से ग्रहण न देखें, यदि देखना ही है तो एक्सरे की मदद ले सकते हैं.
5-  घर के मंदिर में भी पूजा पाठ न करें. मानसिक जाप कर सकते हैं. मानसिक जाप काफी फलदायी माना जाता है.
6-ग्रहण काल के समय फूल और पत्ती तोड़ना वर्जित बताया गया है।

7- सूर्य ग्रहण पर किसी भी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित हैं।
8- ग्रहण समाप्ति के बाद गाय को घास, पक्षियों को दाना तथा गरीबों को वस्त्र दान का शुभ फल मिलता है।
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🙏शुभेच्छु 🙏
पं मयूर पाठक
पं मनीष पाठक
पं डॉ दीपेश पाठक एवं समस्त नगरपुरोहीत परिवार श्री जगदीश्वर धाम मंदिर आष्टा
9893382678, 9827598979
🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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