

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- मन में जिसके सदैव शिव का वास होता है, वह जीवन में कभी निराश नहीं होता-अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा। जिंदगी से कभी हताश नहीं होना चाहिए का अर्थ है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए। मन में जिसके सदैव शिव का वास होता है, वह जीवन में न कभी निराश होता है। आपके दिन बुरे, समय बुरे हो सकते है, लेनि जिंदगी कभी बुरी नहीं होती है। मां के गर्भ से संतान का जन्म होता है तो मेरा शिव-ईश्वर उसकी पूरी व्यवस्था करके भेजता है।

उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ प्रसिद्ध कुबेरेश्वरधाम पर जारी पांच दिवसीय आन लाइन कथा के दौरान अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। उन्होंने कहाकि निराशा के क्षणों को कभी भी जीवन पर हावी न होने दें। बल्कि जीवन के हताशा भरे क्षणों से कुछ सीखने का प्रयास करें। इन लम्हों से उबरकर आगे बढ़ना और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। हमें अपने जीवन में कभी हताशा नहीं होना चाहिए और सद्मार्ग की ओर अग्रसर होते रहना चाहिए। शुक्रवार को आन लाइन शिव महापुराण के दौरान एक बहन का पत्र का विस्तार से वर्णन करते हुए

उन्होंने कहाकि सागर जिले की रहने वाली राजेश्वरी को उसकी ससुराल वालों ने निकाल दिया था, बहन के मन में आया की आत्महत्या कर लूं, लेकिन बच्चों की तरफ ध्यान आने के बाद उन्होंने किराए के घर में रहकर अपना गुजर बसर शुरू कर दिया और शिव भक्ति के विश्वास से उसकी बेटी की शादी और स्वयं का मकान का निर्माण होने के साथ अब भगवान की कृपा हैं। इसलिए यह मानव की देह हमें मिली है। हम जीवन को आगे ले जाने में खुद को सामर्थ्यवान नहीं पा रहे हैं। निराशा के ऐसे क्षण हमें अवसाद और दुख भी देते हैं।

लेकिन निराशा को जीवन पर हावी होने दिया जाए तो जीवन की स्वाभाविक गति प्रभावित होने लगती है इसलिए उन पलों से बाहर आ जाने का अर्थ ही जीवन है। कई बार पूर्व में दुर्घटनाएं हमारे मन को अपने कब्जे में कर रखती हैं और हम खुद को उनसे मुक्त कर पाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। आगे बढ़ने की राह में वे सबसे बड़ी बाधा हैं। हार, असफलता और तकलीफों से उपजी निराशा को पीछे छोड़कर ही जीवन को अच्छे से जिया जा सकता है। अपनी निराशाओं से उबरने के लिए कुछ छोटे प्रयास कारगर सिद्ध हो सकते हैं। हनुमान के बाल रूप की कथा का वर्णन- शुक्रवार को आयोजित शिव महापुराण के अंतिम दिन

पंडित श्री मिश्रा ने कहाकि जब हनुमान जी छोटे थे, तब धन के देवता कुबेर ने उन्हें ये गदा दी थी। इस गदा के साथ हनुमान जी हर युद्ध में जीत हासिल करेंगे। इस गदा को कौमोदकी गदा कहा जाता है। हनुमान जी भगवान शिव का रूप है। भगवान शिव बहुत भोले हैं और सच्चे मन से की गई श्रद्धा से प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव के अनेक गुण हैं, लेकिन शांत रहना, समदर्शी, विनम्रता और निम्रलता आदि गुणों को श्रद्धालु ले लें, तो शिव की प्राप्ति हो सकती है। आपके जीवन में जब भी असफलता और निराश आए, तो भगवान शिव पर भरोसा करना वह आपको कामयाबी दिलाएगा। भगवान शिव की आराधना करने वाला भक्त कभी दुखी नहीं रहता है।

भगवान शिव बहुत ही भोले हैं। आप स्वच्छ मन से याद करेंगे, तो ही हो प्रसन्न हो जाते हैं। आप पूजा पाठ भी नहीं करेंगे, लेकिन मन सुदंर है तो वह प्रसन्न हो जाते हैं। देवो के देव महादेव भगवान शंकर को औघड़दानी कहा जाता है। वह सबको साथ लेकर चलते हैं। वह व्यक्ति के मन की पवित्र व सुंदर सोच से ही प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव को कोई भी बिना साधन, सामग्री के शिव पूजन संपन्न कर सकते हैं। वास्तव में मानसिक पूजा का शास्त्रों में श्रेष्ठतम पूजा के रूप में वर्णित है। इस शिव मानस पूजा को सुंदर-समृद्ध कल्पना से करने पर शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं। वह मानसिक रूप से चढ़ाई हर सामग्री को प्रत्यक्ष मानकर आशीर्वाद देते हैं।



