
updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- नगर की शासकीय कन्या शाला में स्कूल की निर्धन 16 बालिकाओं को विपरीत किया नि:शुल्क गणवेश। आष्टा नगर की सामाजिक संस्था आष्टा युवा संगठन द्वारा समय समय पर निर्धन लोगों के लिए कार्य करती हे ,आज शासकीय कन्या महाविद्याल में 16 बालिका का चयन कर उन्हें विद्यालय की यूनिफाम दी गई, इस अवसर पर शाला प्राचार्य अजब सिंह राजपूत बीआरसी ने छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शाला में गणवेश जाति, धर्म एवं अमीर गरीब का भेद मिटाती है।

स्कूली बच्चों के बीच समानता का भाव लाती है। डॉ मीना सिंघी ने कहा कि सामाजिक संस्थाएं इस ओर ऐसे कार्य करे जिससे निर्धन बालिका को शिक्षा में मदद मिले ऐसी संस्थाओं को आगे आकर काम करना चाहिए,इस अवसर पर ,सकल समाज के वरिष्ठ अनिल श्रीवास्तव ,पत्रकार किरण राका,पूर्व पार्षद नरेन्द कुशवाह ,विपिन सिंगी,प्राचार्य अर्चना माथुर ,रोहित तोमर ,मोहित प्रजापति, भगवती सोनी ,संगीता शुक्ला ,मंजू राठौर ,समता जेन, रीना टोप्पो,राकेश प्रजापति ,कमलेश विश्वकर्मा,देवराज नाटले राम चंद्र प्रजापति द्वारा गणवेश वितरित करी गई।

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- हर तरफ हर-हर महादेव, हाईवे पर शिवभक्तों की लंबी कतार, डाक कांवड़ियों की तेज हुई रफ्तार। सावन के दूसरे सोमवार को सीवन नदी के तट से कुबेरेश्वरधाम तक हर तरफ शिव भक्ति का अद्भूत नजारा देखने को मिला, देश के कोने-कोने से कावरिये अपने कंधों पर कांवड लेकर निकल रहे है, हरियाण से रेलवे स्टेशन से कुबेरेश्वरधाम तक जाने वाले आशीष करीब 80 किलो जल लेकर शिव को अर्पित करने पहुंचे। हर मार्ग पर शिवभक्तों की टोलियां, डीजे-झांकियों से सजा माहौल। डाक कांवड़ की रफ्तार बढ़ी।

मन्नतों के लिए उठी कांवड़ें-कहीं संतान, कहीं नौकरी तो कहीं अन्य मनोकामनाएं लेकर कांवड उठाया गया। सोमवार को सावन के दूसरे सोमवार को भी करीब एक लाख से अधिक श्रद्धालु धाम पर पहुंचे हाईवे से लेकर पूरा शहर शिवमय हो गया है। हाईवे और अन्य कांवड़ मार्गों पर डाक कांवड़ वाहनों की रफ्तार बढ़ गई है। हर ओर हर-हर महादेव की गूंज है। भोले बाबा के दीवाने थकान की परवाह किए बिना आगे बढ़ रहे हैं। शहर में कावड़ यात्रा का जोश और भक्ति चरम पर है। वहीं इनके भोजन, प्रसादी और पेयजल को लेकर बड़े-बड़े पंडाल लगाकर सेवा कार्य किया जा रहा है।

इसको लेकर धाम पर आरंभ हुई आनलाइन शिव महापुराण के पहले दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहाकि शिव भक्तों की सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं है, श्रद्धालुओं की सेवा ही सबसे बड़ी भक्ति है। उन्होंने कहाकि शिव महापुराण हमारे जीवन की दिशा बदल देती है। कथा और प्रवचन से के माध्यम से हमें सद्मार्ग प्राप्त होता है। जैसे देवराज ब्राह्मण का कल्याण हुआ। उन्होंने कहाकि शिव पुराण सुनने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और उसे शिवलोक में स्थान मिलता है, श्रावण माह में भगवान शंकर की पूजा करने का विधान है।

पुराणों में लिखा गया है कि जो व्यक्ति सावन के महीने में पूरी श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव की सेवा करता है, तो उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है। शिव पुराण में भी इस संदर्भ में एक कथा है। एक नगर में एक देवराज ब्राह्मण रहता था जो अत्यंत दुर्बल और वैदिक धर्म से विमुख था। वह कोई धार्मिक कार्य नहीं करता था और सदैव धन कमाने में ही लगा रहता था। उसके ऊपर जो भी विश्वास करता था वह उसे मुर्ख बना देता था। ऐसा कोई भी नहीं था जिसे उसने धोखा न दिया हो, लेकिन उसने शिवमहापुराण की कथा का श्रवण किया तो उसको मुक्ति मिली।

भगवान शिव की भक्ति, भक्त की दिशा और दशा बदल देते है- भगवान शिव भाग्य की दिशा और दशा भी बदल सकते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए बहुत बड़े अनुष्ठान की जरुरत नहीं होती है, वह तो केवल जल और बिल पत्र से भी प्रसन्न हो जाते हैं। अभिषेक भगवान शिव के रुद्र रूप का किया जाता है, इसलिए उनके अभिषेक के अनुष्ठान को रुद्राभिषेक के नाम से जाना जाता है। रुद्राभिषेक अलग-अलग पवित्र पदार्थो से किया जाता है और पदार्थो के अनुरूप इनका फल भी अलग-अलग बताया गया है। रुद्राभिषेक में प्रयुक्त किए जाने वाले अधिकांश पदार्थ स्वास्थ्यवर्धक होते हैं।

जैसे गाय का दूध, गाय घी और दही, शहद, गन्ने का रस, विभिन्न प्रकार के अनाज, विभिन्न स्त्रोतों से एकत्रित किए गए तिल, जौ, विभिन्न प्रकार के तेल, बेल पत्र, आक के फूल, धतूरा आदि का प्रयोग इसमें किया जाता है। रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा अनुष्ठान माना जाता है। शिक्षा हमारे देश की मजबूत होना चाहिए- आन लाइन कथा के दौरान पंडित श्री मिश्रा ने कहाकि हमारे देश की जड़ हमारी शिक्षा है, इसलिए हमारे वेदों आदि का प्रसार होना चाहिए। उन्होंने एक प्रसंग में कहाकि नारायण भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार ने वेदों को बचाया था। दो असुरों ने ब्रह्मा से वेद चुरा लिए थे। वेदों को पुन: प्राप्त करने और सृष्टि को बचाने के लिए,

भगवान विष्णु ने हयग्रीव का अवतार लिया, जो घोड़े के सिर और मानव शरीर वाले थे। इस अवतार में, उन्होंने असुरों का वध किया और वेदों को ब्रह्मा को वापस लौटा दिया, जिससे ज्ञान का प्रकाश पुन: स्थापित हुआ। बेटा और बेटी सम है, इसमें अंतर नहीं- नेपानगर की एक बहन का पत्र को पढ़ते हुए सोमवार को पंडित श्री मिश्रा ने कहाकि बेटा और बेटी सम है, इसमें अंतर नहीं है। बेटा और बेटी के बीच कोई अंतर नहीं समझें, बेटे की तुलना में बेटियां कहीं से भी कम नहीं है। उन्होंने बहन के पत्र को पढ़ते हुए बताया कि बहन ने लिखा है कि उनको दो बेटियां थी, रिश्तेदार और घर के कोसते थे, लेकिन भगवान शिव ने मुझे दो बेटे प्रदान किए है, यह सब बाबा शिव के आशीर्वाद से प्राप्त हुआ है।

