
updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- नगर के प्रसिद्ध पहाड़ी पर स्थित मिनी गिरनार तीर्थ में रविवार को भव्य शुद्धिकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह तीर्थ अपनी भव्यता एवं आध्यात्मिक माहौल से आष्टा सहित बाहर से आने वाले यात्रियों का मन मोह लेता है। यहां का संचालन तपस्वी सम्राट आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय राजतिलक सुरीश्वर जी महाराज के शिष्य रत्न आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय हर्ष तिलक सुरीश्वर जी महाराज साहब की निश्रा में हो रहा है। तीर्थ में सुंदर ठहरने की सुविधा एवं भोजनशाला की उत्तम व्यवस्था है। मूल नायक परमात्मा के रूप में यहां 2200 वर्ष से अधिक प्राचीन श्री नेमिनाथ दादा की प्रतिमा तथा भूगर्भ से प्रकट हुई हजारों वर्ष पुरानी श्री शंखेश्वर दादा की प्रतिमा विराजमान है।

मंदिर परिसर में कमल के आकार का गुरु मंदिर, जिसमें तपस्वी सम्राट आचार्य देव श्रीमद् विजय राजतिलक सुरीश्वर जी महाराज की प्रतिमा स्थापित है, तथा चोमुख प्रतिमाएं भी विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। प्रतिष्ठा के समय किए गए अनेक कार्य परमात्मा के नाम के पहले अक्षर से प्रारंभ हुए थे। उदाहरण स्वरूप—प्रतिष्ठाचार्य नवीन भाई (जामनगर), भगवान के माता-पिता के रूप में निलेश भाई एवं उर्वशीबेन (मुंबई), पुष्प चढ़ाने हेतु नेमिनाथ वाटिका, तथा मंदिर निर्माण प्रारंभ कराने वाले अध्यक्ष श्री नेमीचंद जी रांका एवं श्री ताराचंद जी रांका। 2011 से प्रतिवर्ष यहां शुद्धिकरण का कार्य निरंतर होता आ रहा है। इसी क्रम में आज श्री महावीर स्वामी गंज मंदिर और श्री सीमनधर स्वामी मंदिर दादावाड़ी में भी शुद्धिकरण किया गया।

श्रावक-श्राविकाओं के साथ छोटे बच्चों ने भी सक्रिय योगदान दिया। पर्यूषण महापर्व प्रारंभ होने से पूर्व समस्त मंदिर एवं प्रतिमाओं का जल, दूध, केसर व अन्य धार्मिक विधियों से शुद्धिकरण कर सफाई की गई। कार्यक्रम में मालव गिरनार तीर्थ के कार्यकारी अध्यक्ष रविन्द्र प्रकाश रांका, सचिव नवनीत संचेती, उपाध्यक्ष निर्मल रांका, सह-सचिव कैलाश बोहरा, सुशील धारीवाल, अनिल श्री श्रीमाल, विनीत सिंगी, पूर्व चातुर्मास समिति अध्यक्ष राज कुमार श्री श्रीमाल, मुकेश चतरमुथा, खेमचंद सिंगी, समाजसेवी विपिन सिंघवी, हर्षद श्रीमाल, वैभव पारख, लक्ष्मी नारायण सोनी, कमल नेपाली, अखिलेश छाजेड़, बसंत छाजेड़, आशीष धूपिया, पंकज डूंगरवाल, तरुण चतरमुथा, मन ललवानी सहित अनेक सदस्य मौजूद रहे।

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- कांवड यात्रा के पश्चात भी भक्ति चरम पर, हर रोज आ रहे हजारों की संख्या में कांवड यात्री। हर साल की तरह इस साल भी जिला मुख्यालय के समीपस्थ कुबेरेश्वरधाम पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने रक्षाबंधन पर्व पर बाबा को लगा 11 सौ लड्डुओं का भोग लगाया और विशेष श्रंगार किया गया। इस मौके पर सुबह और शाम को आरती की गई और यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसादी का वितरण किया गया। वहीं भव्य कांवड यात्रा के पश्चात भी भक्ति और आस्था चरम पर है, हर रोज हजारों की संख्या में शिव भक्त कांवड लेकर भगवान का अभिषेक करने के लिए धाम पर आ रहे है।

शनिवार को रक्षाबंधन का पर्व हर्षोल्लास और उमंग से मनाया गया। सुबह से ही श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी था। इसके अलावा सावन पूर्णिमा पर बाबा का विशेष अभिषेक किया गया। हर दिन अभी भी सैकड़ों की संख्या में कांवडिया आस्था और उत्साह के साथ धाम पर आ रहे है। शनिवार को प्रयागराज, महाराष्ट्र से आए कांवड के जत्थे का विठलेश सेवा समिति ने स्वागत सम्मान किया। इस मौके पर रक्षा बंधन के पर्व पर संध्या आरती का आयोजन किया गया और उसके पश्चात बाबा की आरती की गई। वहीं लंबे समय से सेवा का कार्य करने वालों ने भी रक्षा बंधन का पर्व

आस्था और उत्साह के साथ मनाया। समिति के मीडिया प्रभारी मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि भाई-बहन के अटूट बंधन और स्नेह का प्रतीक यह त्योहार पूरे उत्साह से मनाया गया। बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर हल्दी, रोली, कुमकुम और चंदन से तिलक किया। उन्होंने भाइयों का मुंह मीठा करवाया और उनकी तंदुरुस्ती व दीर्घायु की कामना की। भाइयों ने भी अपनी बहनों की आजीवन रक्षा करने का संकल्प लिया। उन्होंने बताया कि आगामी 13 अगस्त 17 अगस्त तक अंतराष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा हैदराबाद में आयोजित की जाएगी।

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- ब्रह्माकुमारीज़ सीहोर सेवा केंद्र पर रक्षाबंधन के पावन अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप शैलेन्द्र राय उपस्थित थे उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि बहनों का रक्षाबंधन मनाने का तरीका अलौकिक है यहां आकर मुझे शांति एवं ऊर्जा का अद्भुत अनुभव मिला हम दीदी के साथ मिलकर 152 स्कूलों में बच्चों को राजयोग मेडिटेशन की शिक्षा देना और नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत कार्यक्रम करेंगे सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी पंचशीला दीदी ने रक्षाबंधन के आध्यात्मिक अर्थ को विस्तार से समझाया।

रक्षाबंधन केवल धागा बाँधने का त्यौहार नहीं, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के पवित्र संबंध का प्रतीक है। यह बंधन हमें बुराइयों से रक्षा करने और सद्गुणों के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। कार्यक्रम के दौरान दीदी ने माउंट आबू राजस्थान हेड ऑफिस से आई परमात्म प्रेम भरी राखी दिखाते हुवे पत्र सुनाया एवं सभी भाई-बहनों को पवित्र राखी बाँधी और ईश्वर से जुड़े रहने का संकल्प दिलाया। साथ ही, केंद्र में आने वाले सभी लोगों ने इस अवसर पर अपने जीवन में शांति, प्रेम और सदाचार को अपनाने का संकल्प लिया। अंत में, सभी उपस्थित जनों ने इस पवित्र पर्व को आध्यात्मिक उमंग और उत्साह के साथ मनाया।

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- श्रीकृष्ण का जन्म मनुष्य जीवन के उद्धार के लिए हुआ है। कंस ने उनके जन्म लेने को रोकने के लिए अथक प्रयास किए लेकिन सफल नहीं हो पाया। अंत मेंं अपने पापों का घड़ा भरने पर श्रीकृष्ण के हाथों मरकर मोक्ष की प्राप्ति की। उन्होंने बताया मनुष्य जीवन सबसे उत्तम माना जाता है। इसी योनी में भगवान भी जन्म लेना चाहते हैं। जिससे वे अपने आराध्य ईश्वर की भक्ति कर सके। श्रीकृष्ण ने भागवत गीता के माध्यम से बुराई व सदाचार के बीच अंतर बताया। ईश्वर को धन दौलत व यज्ञों से कोई सरोकार नहीं है।

वह तो केवल स्वच्छ मन से की गई आराधना के अधीन होता है। उक्त विचार शहर के बस स्टैंड पर जारी सात दिवसीय भागवत कथा के अंतिम दिवस कथा वाचक पंडित चेतन उपाध्याय ने कहे। इस मौके पर मंच से अनेक श्रद्धालुओं और कथा के आयोजनकर्ताओं का सम्मान करते हुए कथा वाचक पंडित श्री उपाध्याय ने कहाकि जीवन में भगवान के नाम के जप का मौका कभी नहीं गंवाना चाहिए। कर्म के साथ पुण्य और धर्म का लाभ लेते रहना चाहिए।

उन्होंने कहाकि भगवान जात, पात व धर्म नहीं जानते। वह तो भक्ति मात्र के प्रेम को जानते हैं। हर प्रकार के युगों से श्रद्धालुओं को अवगत कराया। समय-समय पर भगवान को भी अपने भक्त की भक्ति के आगे झुककर सहायता के लिए आना पड़ा है। मित्रता, सदाचार, गुण, अवगुण, द्वेष सभी प्रकार के भावों को व्यक्त किया है। जब तक हम किसी चीज के महत्व को नहीं जानते तब तक उसके प्रति मन में श्रद्धा नहीं जगती। कहा कि जब तक भक्तों का मन पवित्र नहीं होगा तब तक भागवत कथा श्रवण का लाभ नहीं मिल सकता।


