updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- श्रावण मास के पावन अवसर पर नगर आष्टा में शिवभक्ति का अद्भुत आयोजन माखनलाल, दिनेश कुमार ,धर्मेन्द्र सोनी ,मोहित ,राज ,एवं अभिजीत सोनी परिवार द्वारा किया जा रहा है। निज निवास, ओमशांति मार्ग, ब्लैक भवन रोड पर चल रहे पार्थेश्वर शिवलिंग निर्माण, पूजन, महाअभिषेक एवं श्री शिव कथा के इस पांच दिवसीय कार्यक्रम का

सफल संचालन पं. अशोककुमार शर्मा आचार्य के सानिध्य में हो रहा है। आयोजन के चतुर्थ दिवस गुरु जी एवं लाभार्थी परिवार का होटल व्यापारी संघ के द्वारा पुष्मला से स्वागत किया जिसमे उपस्थित संघ के अध्यक्ष सौरभ जैन शीतल , महामंत्री दिलीप वशिष्ट ,राजेंद्र जायसवाल , उज्जवल जैन , उत्थान धारवा, हर्ष राठौर , लोकेंद्र वशिष्ट , मनोहर मेवाडा,आदि ने स्वागत किया।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- शुक्रवार 11जुलाई से, श्रावण मास के उपलक्ष में श्री शिव कथा एवं पार्थेश्वर शिवलिंग निर्माण, पूजन व महा अभिषेक का भव्य आयोजन माखन लाल,दिनेश कुमार, धर्मेन्द्र कुमार सोनी द्वारा प्रारंभ हुआ जोकि मंगलवार 15 जुलाई 2025 तक चलेगा, इस आयोजन के प्रथम दिवस पंडित श्री अशोक शर्मा शास्त्री खजुरिया वाले, के मुखारविंद से भव्य श्री शिव कथा का वाचन किया गया,

जिसमें उन्होंने श्री गणेश एवं रिद्धि सिद्धि के बीच हुए एक संवाद का वर्णन किया, जिसमें गणेश जी रिद्धि सिद्धि को कहते हैं कि इस ब्रह्माण्ड में मेरी माता से सुंदर अन्य कुछ भी नहीं है,जिस पर प्रतिक्रिया में रिद्धि सिद्धि उन्हें कहती हैं कि आपकी माता से सुंदर आपके पिता शिव है, इस बात को लेकर भगवान श्री गणेश एवं रिद्धि सिद्धि के बीच वार्तालाप मैं कोई सहमति नहीं बनती है, लेकिन जब भगवान श्री गणेश अपने माता -पिता शिव पार्वती को तीर्थ दर्शन करते हुए,हर की पौड़ी पर पहुंचे

और पौड़ी पर शिव जी को स्नान करते देखा तो हर समय भस्म से रमे शिव को मूल स्वरूप में देख कर अचंभित रह गए,क्यों कि शिव जी का मूल स्वरूप कपूर जैसा सफेद एवं सुंदर प्रदर्शित हो रहा था,इस दृश्य को लेकर आज तक आरती के पश्चात श्लोक का वाचन किया गया है, करपुर गौरम करुणावताराम संसार सागर भुजगेंद्रहारम्,एवं इस वृतांत से यह भी स्पष्ट होता है कि

ब्रह्मांड में अपने माता-पिता को सबसे पहले तीर्थ दर्शन भगवान श्री गणेश ने कराया था जब से ही माता-पिता को तीर्थ दर्शन करने का महत्व संसार को ज्ञात हुआ। कथा से पहले पार्थेश्वर शिवलिंग निर्माण किया गया जिसमें उपस्थित भक्तों ने शिवलिंग निर्माण कर अभिषेक किया, कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु गण एवं मातृशक्ति उपस्थित रहे,कथा के पश्चात प्रसादी वितरण किया गया ।।

द्वितीय दिवस की कथा में राजा दक्ष को श्राप के विषय में बताया।श्रावण मास के पावन अवसर पर नगर में शिवभक्ति का अनुपम आयोजन माखनलाल, दिनेश कुमार एवं धर्मेन्द्र सोनी परिवार द्वारा किया जा रहा है। निज निवास, ओमशांति मार्ग, ब्लैक भवन रोड, आष्टा पर आयोजित यह पांच दिवसीय पार्थेश्वर शिवलिंग निर्माण, पूजन, महाअभिषेक एवं श्री शिव कथा का कार्यक्रम पंडित अशोककुमार शर्मा आचार्य के सानिध्य में सम्पन्न हो रहा है।

*द्वितीय दिवस में आज की कथा में आचार्य जी ने बताया राजा दक्ष प्रजापति थे और भगवान शिव के ससुर, क्योंकि उनकी पुत्री सती (दक्षायणी) ने भगवान शिव से विवाह किया था। परंतु दक्ष को शिवजी की तपस्वी जीवनशैली, उनका सरल स्वभाव और भौतिक वैभव से दूरी पसंद नहीं थी। इसी कारण उसने भगवान शिव के प्रति अपमानजनक व्यवहार किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें श्राप मिला। घटना का संक्षिप्त विवरण:

प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें सभी देवताओं, ऋषियों और ब्रह्मांड के प्रमुख व्यक्तियों को आमंत्रित किया गया, लेकिन जानबूझकर भगवान शिव और सती को आमंत्रित नहीं किया।सती बिना निमंत्रण के अपने पिता के यज्ञ में पहुँचीं, वहाँ उन्होंने अपने पति भगवान शिव का घोर अपमान होते देखा।क्रोधित और अपमानित होकर सती ने हवन कुंड में स्वयं को अग्नि में समर्पित कर बलिदान दे दिया।जब यह समाचार भगवान शिव को मिला, तो वे क्रोधित हो उठे।
उन्होंने अपनी जटाओं से वीरभद्र और भद्रकाली को उत्पन्न किया और उन्हें दक्ष के यज्ञ को विध्वंस करने भेजा।

वीरभद्र ने यज्ञ को नष्ट कर दिया, देवताओं को परास्त किया और दक्ष का सिर काट दिया।यद्यपि बाद में भगवान शिव का क्रोध शांत हुआ और ब्रह्माजी तथा अन्य देवताओं के निवेदन पर उन्होंने दक्ष को जीवनदान दिया,
परंतु उसे बकरी का सिर लगाकर पुनर्जीवित किया गया।
यह स्वयं में एक प्रतीकात्मक श्राप था — कि जिसने शिव जैसे महादेव का अपमान किया, उसकी पहचान (सिर/गौरव) नष्ट हो गई और उसे पशु के समान स्वरूप में रहना पड़ा।दक्ष को यह श्राप उसके घमंड, शिव के अपमान और पुत्री सती की मृत्यु का कारण बनने के कारण मिला। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि अहंकार और ईश्वरीय सत्ता का अपमान विनाश की ओर ले जाता है।

श्रद्धा एवं आस्था से ओतप्रोत इस आयोजन में भक्तजन प्रतिदिन प्रातः 11 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक पार्थिव शिवलिंग निर्माण करते हैं। तत्पश्चात दोपहर 1 बजे से 2 बजे तक महाअभिषेक सम्पन्न होता है। इसके बाद दोपहर 2 बजे से 4:30 बजे तक पं. अशोक शर्मा जी के मुखारविंद से भगवान शिव की महिमा से भरी श्री शिव कथा का रसपान किया जा रहा है।इस कार्यक्रम में नगर के श्रद्धालुजन एवं शिवभक्तों से अधिक से अधिक संख्या में पधारकर इस पावन श्रावण मास में पुण्य लाभ अर्जित करने का निवेदन आयोजक परिवार द्वारा किया गया है।आज गुरुदेव का स्वागत शीतला माता मंदिर समिति,वैश्य महिला मंडल ,कुशवाह समाज महिला मंडल द्वारा किया गया।

