पूजा जाट बनीं डीएसपी, गांव हरवार में हुआ भव्य स्वागत, जाट महासभा ने पहनााई पीली पट्टिका, एसीपी विजय चौधरी ने भी दी बधाई

updatenews247.com धंनजय जाट नीमच 7746898041- मध्यप्रदेश के नीमच जिले के गांव हरवार की बेटी पूजा जाट के डीएसपी बनने पर मंगलवार को गांव में जाट महासभा द्वारा उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। महासभा के पदाधिकारियों ने उन्हें पीली पट्टिका पहनाकर और मुँह मीठा कराकर सम्मानित किया। पूरे गांव में खुशी का माहौल देखने को मिला। इस अवसर पर अखिल भारतीय जाट महासभा के प्रदेश मीडिया प्रभारी एडवोकेट अर्जुन सिंह जाट ने

पूजा जाट की दूरभाष पर इंदौर एसीपी श्री विजय चौधरी से बातचीत कराई। एसीपी चौधरी ने पूजा जाट को समाज और जिले का नाम रोशन करने पर हार्दिक बधाई दी और भविष्य के लिए शुभकामनाएं प्रेषित कीं। सम्मान समारोह में प्रदेश मीडिया प्रभारी एडवोकेट अर्जुन सिंह जाट, पुलिस आरक्षक महेश जाट, दिनेश जाट, विनोद जाट सहित समाजजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। पूजा जाट की इस उपलब्धि से पूरे जाट समाज और क्षेत्र में हर्ष की लहर है।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- दिगंबर साधु स्वाभिमानी होते है, अभिमानी नही- मुनिश्री प्रवर सागर मुनिराज, जिनेन्द्र भगवान पर जिन्हें विश्वास है वही धर्म कर सकते हैं- मुनिश्री अक्षत सागर मुनिराज।मुनिश्री अक्षय सागर मुनिराज एवं प्रवर सागर मुनिराज का गाजे बाजे के साथ नगर के प्रमुख मार्गो से हुआ नगर प्रवेश ।मुनिराज प्रवर सागर मुनिराज ने कहा मनुष्य पुरुषार्थ कर सकते है।स्वभाव, मोक्ष आदि के लिए पुरुषार्थ कर रहे है।दिगंबर संत स्वाभिमानी होते हैं, अभिमानी नहीं। चातुर्मास के दौरान अरिहंतपुरम वाले बहुत खुश थे,मानो श्रीराम अयोध्या में आ गए।

सकल समाज का पुण्य है ,हम अरिहंतपुरम में चातुर्मास के पश्चात किला मंदिर पर समाज के द्वारा श्रीफल भेंट करने पर यहां आए।धर्म णमोकार महामंत्र से शुरु होता है,जिनालय, जिनबिंब समझ में आ रहा है तो समझे कि आप मोक्ष का पुरुषार्थ कर रहे है।हाथ जोड़ कर नमन करते है तो कर्मो की निर्जरा कर रहे है।दिगंबर साधु स्वाभिमानी होते है,अभिमानी नही। अभी पुरुषार्थ स्वभाव को प्राप्त करने का चल रहा है। वस्तु का स्वरूप है ,वैसे ही ग्रहण कर रहे हो तो स्वभाव को प्राप्त कर रहे हैं। धर्म का प्रभाव अरिहंतपुरम की गूंज किला मंदिर तक आ गई। उक्त बातें आचार्य विनिश्चय सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री प्रवर सागर मुनिराज ने

इंदौर नाका से नगर प्रवेश के पश्चात श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर आशीष वचन देते हुए कही।उन्होंने कहां किला मंदिर पर प्रवास हेतु समाज ने श्रीफल भेंट किया। यह श्रीफल सामान्य श्रीफल नहीं है, यह मोक्ष का पुरुषार्थ का श्रीफल है। मुझे सुबह चंद्रप्रभु भगवान के दर्शन हुए। फिर स्वर्णभद्र कूट के दर्शन हुए और उसके पश्चात मुनि अक्षय सागर जी की जिन मुद्रा के दर्शन हो गए ।जहाँ धर्म का प्रभाव होता है ,जिन मुद्रा का सम्मान करते हैं ,वह जीव निकट भव्य होता है।मुनिश्री प्रवर सागर मुनिराज ने कहां प्रवास यहां रहेगा। सकल दिगंबर समाज एक होती है तभी धर्म की प्रभावना होती है।

जहां धर्म की प्रभावना वहां गुरुओं की विनय होती है। मुनिश्री अक्षय सागार मुनिराज के साथ एक मास का प्रवास शाहगढ में पहले रहा है।आपका अच्छा वात्सल्य रहा, यही वात्सल्य बना रहे।विभाव अवस्था छूटने पर स्वभाव अवस्था बनती है। क्षमा भाव रहना चाहिए। मन में कषाय है तो पत्थर की तरह है, पानी में पत्थर पड़ा रहने के पश्चात भी कड़क रहता है और मिट्टी पर एक बूंद पानी डलने पर वह नरम हो जाती है। आपने कहां धर्म णमोकार महामंत्र से प्रारंभ होता है। सच्चे सुख की प्राप्ति समीचीन धर्म से है। आचार्य विद्यासागर मुनिराज ने जिन मुद्रा को धारण किया विद्याधर से विद्यासागर बने ।जिन मुद्रा का सम्मान करोगे तो मन में धर्म रूपी कमल खिलेगा।

पथरिया के अरविंद और अरुण ने भी जिन मुद्रा धारण की।अरिहंतपुरम श्रीचंद्र प्रभ मंदिर समिति ने चातुर्मास के दौरान बहुत विधान करवा कर धर्म आराधना कराई।मुनिश्री अक्षय सागर मुनिराज ने कहां स्वभाव को प्राप्त नही कर पा रहे है।धर्म कहां से प्रारंभ हो,धर्म जिनेन्द्र भगवान ने बताया,जिन्हें जिनेन्द्र भगवान पर विश्वास है,वही धर्म कर सकते है।धर्म पर सही श्रद्धा करे।जिसके ह्वदय में सत्य की स्थापना वह श्रद्धावान है।सम्यकदर्शन, सम्यकज्ञान और सम्यकचारित्र को धर्म कहां है। सम्यकदर्शन के बिना धर्म की प्राप्ति नही।भगवान के दर्शन करते ही मन खिल जाता है। चातुर्मास चतुरगति से बचने का उपाय है।

गाजे बाजे के साथ हुआ नगर प्रवेश- आचार्य विनिश्चय सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री प्रवर सागर मुनिराज का शनिवार को इंदौर नाके पर समाजजनों ने गाजे बाजे के साथ अगवानी कर जुलूस के रूप में नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए किला मंदिर पर पहुंचे। वहीं शुक्रवार को मुनिश्री अक्षय सागर मुनिराज का भोपाल नाका से नगर प्रवेश हुआ। आपका सीहोर चातुर्मास सानंद संपन्न कर मंगल विहार करते हुए आष्टा किला मंदिर पर पहुंचे हैं। अरिहंतपुरम श्रीचंद्र प्रभ मंदिर व्यवस्था समिति ने मुनीश्री अक्षय सागर मुनिराज को अलीपुर में शीतकालीन वासना हेतु श्रीफल भेंट किया।

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